इज़राइल-हमास युद्ध

हिज़्बुल्लाह, ईरान के विरुद्ध जंग में इज़राइल के साथ संलग्न होने से अमेरिका करेगा विनाशकारी गलती

जबकि आईडीएफ ने गाज़ा में गहराई तक प्रवेश किया है, इजराइली सरकार को आशा है कि वह वाशिंगटन को हिजबुल्लाह और ईरान के विरुद्ध बहु-मोर्चे पर युद्ध लड़ने को विवश कर सकती है। परंतु यह व्यर्थ होने वाला प्रयास है, चूंकि यह अमेरिकी जनता की समस्याएं नहीं, इज़राइल ने स्वयं ही अपने सामने ये समस्याएं रखीं, एक पूर्व सीआईए अधिकारी ने Sputnik को बताया।
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हाल ही में अल-मायादीन में जारी एक लेख में पूर्व अमेरिकी मरीन कॉर्प्स खुफिया अधिकारी स्कॉट रिटर ने दावा किया कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नतन्याहू अमेरिका को हिजबुल्लाह और यहां तक कि ईरान के विरुद्ध बहु-मोर्चे के युद्ध में खींचने के लिए लेबनान की सीमा पर तनाव बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
लेकिन रिटर का मानना है कि ऐसी पैंतरेबाज़ी सफल नहीं होगी, क्योंकि हिज़्बुल्लाह को ज्ञात है कि इस संघर्ष में सम्मिलित होने से उसकी वैश्विक स्तर पर स्थिति बुरी तरह से प्रभावित होगी।

रिटर ने कहा कि अगर हिजबुल्लाह इज़राइल पर पूर्ण सैन्य क्षमता से हमला करे, तो "लोग फिलिस्तीन के बारे में बात करना बंद कर देंगे। लोग इज़राइल की आक्रामकता के बारे में बात करना बंद कर देंगे, और वे एक नए मोर्चे पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिसमें ईरान भी सम्मिलित हो सकता है"।

उन्होंने कहा, “हमास यह लड़ाई जीत रहा है। इज़राइल ज़मीन पर हमास को नहीं हरा सकता। इज़राइल विश्व स्तर पर प्रचार की लड़ाई हार गया है"।
सीआईए के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाकौ ने मंगलवार को Sputnik को बताया कि रिटर और नसरल्लाह की बात ठीक है: अमेरिका हिजबुल्लाह के खिलाफ युद्ध नहीं जीत सकता है और उसे ऐसी लड़ाई में सम्मिलित नहीं होना चाहिए।
किरियाकौ ने कहा, “नेतन्याहू ने लगातार तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों से या तो ईरान पर आक्रमण करने या इज़राइल को ईरान पर आक्रमण करने में सहायता देने के लिए कहा है, और तीन बार उनका उत्तर 'नहीं' ही रहा है।
विशेषज्ञ ने आगे कहा, हमास-इज़राइल विवाद बढ़ने के बाद "नेतन्याहू ने अमेरिका को संघर्ष में सम्मिलित करने के लिए अच्छा अवसर देखा है, ताकि या तो हिजबुल्लाह को हराने में सहायता मिल सके, या ईरान को क्योंकि मामले की सच्चाई यह है कि इज़राइल हमास के अतिरिक्त एक और मोर्चे पर युद्ध नहीं लड़ सकता”।

उन्होंने कहा, “अमेरिका को इसमें सम्मिलित नहीं होना चाहिए। अब यूक्रेन के साथ हमारी अपनी समस्याएं हैं और ऐसा लगता है कि दूर से इज़राइल के पक्ष में कूदने की जबरदस्त राष्ट्रीय इच्छा है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें इज़राइल को युद्ध लड़ने में सहायता करने के लिए अमेरिकी सेना भेजनी होगी"।

इसके अतिरिक्त , किरियाकौ ने कहा कि 'प्रचार युद्ध' कि अगर बात की जाए, तो गाज़ा से आने वाले वीडियो के साथ-साथ नेतन्याहू और उनकी सरकार के लोगों की टिप्पणियों से विश्व भर में लोग हैरान हो गए हैं।
उन्होंने स्मरण किया कि सप्ताहांत में इज़राइल के विरासत मंत्री ने बयान दिया कि हमास शासित गाज़ा पट्टी पर परमाणु बम गिराना इज़राइल के व‍िकल्‍पों में से एक है।
किरियाकौ ने कहा, “ठीक है, सबसे पहले यह मानवता के विरुद्ध महान स्तर का अपराध होगा। और दूसरी बात, यह पहली बार है कि इज़राइल के इतिहास में किसी भी सरकारी अधिकारी ने स्वीकार किया है कि इज़राइल के पास परमाणु हथियार है इसलिए इजराइली इसे सही ढंग से समझ नहीं पा रहे हैं, वे इस सूचना युद्ध या प्रचार को सही ढंग से समझ नहीं पा रहे हैं।”

“आप यह भी देखें कि विश्व भर में पिछले सप्ताहांत में क्या हुआ है। वाशिंगटन की सड़कों पर लगभग 300 हज़ार लोग युद्धविराम की मांग करते हुए मार्च कर रहे थे। (…) उसी दिन लंदन में एक बड़े प्रदर्शन के दौरान 500 हज़ार लोग सड़कों पर उतर आए, जकार्ता में 500 हज़ार से अधिक। बर्लिन और टोक्यो में समान रूप से बड़े प्रदर्शन हुए। अमेरिका में, सैन फ्रांसिस्को और डेनवर में भी प्रदर्शन हुए। वे (इजराइली) पहले ही सूचना युद्ध हार चुके हैं।”

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