नई दिल्ली ने G7 नेताओं के साथ अपनी बातचीत में और अधिक स्पष्टता की भी मांग की है, सूत्रों के हवाले से कहा गया।
दरअसल, दुनिया के 90% हीरे की कटाई और पॉलिशिंग का काम भारत में होता है, जो प्रतिबंध के कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण है।
इस महीने की शुरुआत में G7 देशों ने एक जनवरी से रूसी हीरों पर प्रत्यक्ष प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, जिसके बाद एक मार्च के आसपास रूसी रत्नों के अप्रत्यक्ष आयात पर चरणबद्ध प्रतिबंध लगाए गए। इन रत्नों की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए एक नई प्रणाली सितंबर में पेश किया गया।
सूत्रों ने कहा, "रूस से अप्रत्यक्ष आयात पर तीन महीने में प्रतिबंध शुरू करने की समयसीमा अव्यावहारिक है, क्योंकि किसी रत्न की उत्पत्ति का पता कैसे लगाया जाएगा, इसके नियम स्पष्ट नहीं हैं। भारत ने G7 की नई ट्रेसेबिलिटी-आधारित सत्यापन और प्रमाणन प्रणाली पर भी आपत्ति व्यक्त की है, जिसके लिए भारतीय व्यवसायों के बारे में डेटा साझा करने की आवश्यकता हो सकती है"।
उन्होंने कहा, कुछ डेटा संवेदनशील हो सकते हैं और व्यवसाय ऐसी जानकारी साझा करने में सहज नहीं हो सकते हैं।
गौरतलब है कि भारत का हीरा क्षेत्र पहले से ही कमजोर मांग का सामना कर रहा है। अप्रैल में शुरू हुए चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान देश का पॉलिश हीरे का निर्यात 29% गिरकर 10 बिलियन डॉलर हो गया।