यमन की हूती नेतृत्व वाली सरकार ने अमेरिका के इस दावे को खारिज कर दिया है कि शनिवार को लाल सागर में गैबॉन के स्वामित्व वाले भारतीय ध्वज वाले तेल टैंकर एमवी साईबाबा पर ड्रोन हमले के पीछे उसका हाथ था।
बताया जा रहा है कि जब यह घटना हुई थी तब जहाज पर चालक दल के लगभग 25 भारतीय सदस्य मौजूद थे।
बताया जा रहा है कि जब यह घटना हुई थी तब जहाज पर चालक दल के लगभग 25 भारतीय सदस्य मौजूद थे।
रविवार शाम को सोशल मीडिया पर हूती प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल सलाम के एक बयान के अनुसार, एक अमेरिकी युद्धपोत ने लाल सागर के ऊपर खोजी मिशन को अंजाम दे रहे एक यमनी टोही विमान पर गोलीबारी की थी।
अब्दुल सलाम ने कहा कि एक मिसाइल एमवी साईबाबा के पास फट गई। हूती सरकार के प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि "अगर अमेरिका ने अपनी दादागिरी जारी रखी तो लाल सागर एक जलता हुआ क्षेत्र बन जाएगा।"
उन्होंने कहा कि जहाज रूस से दक्षिण की ओर जा रहा था जब अमेरिकी मिसाइल उसके पास गिरी। यमन में सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के एक वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद अली अल-हूती ने अमेरिकी युद्धपोतों पर इज़राइल को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लाइनों के लिए जोखिम उठाने का आरोप लगाया।
अल-हूती ने सुझाव दिया कि लाल सागर में समुद्री सुरक्षा स्थिति को हल करने के लिए "आदर्श समाधान" यह होगा कि अमेरिकी युद्धपोत घर लौट आएं।
यमनी अधिकारियों का बयान यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के एक बयान के कुछ घंटों बाद सामने आया जिसमें कहा गया था कि एमवी साईबाबा को शनिवार शाम को हौथी ड्रोन ने निशाना बनाया था।