भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप को एक पर्यटक के लिए आकर्षण का केंद्र के रूप में बताया है। उन्होंने द्वीपों के प्राचीन जल में स्नॉर्कलिंग के अपने "रोमांचक" अनुभव को साझा किया है।
उन्होंने कहा, “प्राकृतिक सुंदरता के अतिरिक्त, लक्षद्वीप की शांति भी मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। इसने मुझे यह सोचने का अवसर दिया कि 140 करोड़ भारतीयों के कल्याण के लिए और भी अधिक मेहनत कैसे की जाए। जो लोग अपने अंदर के रोमांच को अपनाना चाहते हैं, उनके लिए लक्षद्वीप आपकी सूची में होना चाहिए।”
3 जनवरी को लक्षद्वीप में विकास परियोजनाओं के शुभारंभ और शिलान्यास के बाद समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार “लक्षद्वीप को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए” हर संभव उपाय कर रही है।
भारतीय प्रधानमंत्री की अपील को विश्व भर में भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों द्वारा री-ट्वीट किया गया है, जिससे द्वीपों की पर्यटन क्षमता के साथ-साथ मोदी द्वारा अपनी यात्रा के माध्यम से दिए जाने वाले बड़े संदेश के बारे में भारत में एक सार्वजनिक बहस छिड़ गई है।
भारतीय नौसेना के अनुभवी और भारतीय थिंक टैंक चेन्नई सेंटर फॉर चाइना स्टडीज (सी3एस) के महानिदेशक कमोडोर (सेवानिवृत्त) शेषाद्रि वासन ने Sputnik India को बताया कि प्रधानमंत्री के इन सोशल मीडिया पोस्ट के पीछे मुख्य संदेश यह प्रतीत होता है कि लक्षद्वीप को "वैकल्पिक पर्यटन स्थल" के रूप में विकसित किया जा सकता है।
वासन ने आधिकारिक आंकड़ों का उल्लेख करते हुए बताया कि मालदीव का लगभग एक तिहाई वार्षिक राजस्व पर्यटन से उत्पन्न होता है।
दोनों देशों की सरकारों ने नोट किया कि 2022 में भारत मालदीव के लिए पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है।
वासन ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी इसे न मात्र भारतीय यात्रियों के लिए, अपितु यूरोप और मध्य पूर्व के लोगों के लिए भी एक वैकल्पिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने पर जोर दे रहे हैं, जिनमें से कई प्रायः मालदीव में जाते हैं।"
उन्होंने कहा कि ऐसी नीति घरेलू पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के मोदी की योजना के अनुरूप है।