योजना एक संयुक्त हवाई क्षेत्र बनाने की है जो लड़ाकू जेट, सैन्य परिवहन विमानों और वाणिज्यिक विमानों को संचालित करने में सक्षम होगा," सरकारी सूत्रों के हवाले से स्थानीय मीडिया ने कहा।
"हालांकि, पहले भी मिनिकॉय द्वीप समूह में इस नए हवाई क्षेत्र को विकसित करने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन संयुक्त उपयोग वाले रक्षा हवाई क्षेत्र की इस योजना को हाल के दिनों में पुनर्जीवित किया गया है और सक्रिय रूप से प्रगति की जा रही है," सूत्रों ने स्थानीय मीडिया से बताया।
सैन्य दृष्टिकोण से हवाई क्षेत्र भारत को एक मजबूत क्षमता प्रदान करेगा क्योंकि इसका उपयोग अरब सागर और हिंद महासागर क्षेत्र पर नजर रखने के लिए आधार के रूप में किया जा सकता है।
दरअसल मिनिकॉय का हवाई अड्डा रक्षा बलों को अरब सागर में अपने निगरानी क्षेत्र का विस्तार करने की क्षमता के अलावा पर्यटन को भी बढ़ावा देगा, जैसा कि सरकार ने योजना बनाई है।
इस समय द्वीप क्षेत्र में केवल एक हवाई पट्टी है, जो अगत्ती में है और यह विमानों के प्रकार को भी सीमित कर सकती है। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद से यह द्वीप क्षेत्र चर्चा और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
बता दें कि लक्षद्वीप को पर्यटक आकर्षण के रूप में बढ़ावा देने की भारतीय योजनाओं की मालदीव की सत्तारूढ़ पार्टी के राजनेता द्वारा आलोचना से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध में तल्खी बढ़ गई है।