प्रधानमंत्री मोदी अभिषेक समारोह की तैयारी के लिए 11 दिनों के सख्त धार्मिक अनुष्ठानों की एक श्रृंखला का पालन कर रहे हैं। इस अवसर पर वे सभा को भी संबोधित करेंगे, उनके कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया।
इसके अलावा बयान में कहा गया कि "ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। विभिन्न आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग भी समारोह में शामिल होंगे।"
'प्राण प्रतिष्ठा' के लिए अभिषेक अनुष्ठान 16 जनवरी को सरयू नदी से शुरू हुआ और सोमवार दोपहर 'अभिजीत मुहूर्त' में पूरा किया जाएगा, राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के प्रभारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा।
राम मंदिर पारंपरिक उत्तर-भारतीय नागर शैली में बनाया जा रहा है। इसके 392 स्तंभों, 44 दरवाजों और दीवारों पर देवी-देवताओं की विस्तृत नक्काशी है। गर्भगृह में पांच वर्षीय भगवान राम की मूर्ति स्थापित की गई है।
गौरतलब है कि "प्राण प्रतिष्ठा" में शामिल होने के लिए आमंत्रित लोगों की सूची में 7,000 से अधिक लोग हैं, चयनित सूची में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े लोग भी शामिल हैं। वहीं समारोह में आमंत्रित लगभग सभी विपक्षी नेताओं ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है, कांग्रेस ने इसे "भाजपा-आरएसएस कार्यक्रम" कहा है।
बता दें कि समारोह के लिए अयोध्या में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया है, जिसमें 10,000 सीसीटीवी कैमरे और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से लैस ड्रोन कार्यक्रम स्थल पर लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। छतों और महत्वपूर्ण स्थानों पर भी स्नाइपर तैनात किए गए हैं।