विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

जानें मिस्र के एल-डाबा परमाणु ऊर्जा संयंत्र में रूस का योगदान

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके मिस्र के समकक्ष अब्देल फतह अल-सिसी मंगलवार को एक वीडियो लिंक के माध्यम से एक समारोह में भाग ले रहे हैं, जहां एल-डाबा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (NPP) में चौथी बिजली इकाई की नींव में कंक्रीट का पहला बैच डाला जाएगा।
Sputnik
यह तैयारी चरण के अंत और सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्र (NPP) इकाइयों के उत्कृष्ट निर्माण के मुख्य चरण के शुभारंभ का प्रतीक है। एल-डाबा एनपीपी में चार बिजली इकाइयां शामिल होंगी, जिसमें प्रत्येक इकाई में 1200 मेगावाट के III+ पीढ़ी के VVER-1200 रिएक्टर (दबावयुक्त जल रिएक्टर) होंगे।
दरअसल एल-डाबा न केवल मिस्र का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, बल्कि पूरे उत्तरी अफ्रीका में पहला है। इस संयंत्र का निर्माण काहिरा से लगभग 300 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित एल-डाबा (भूमध्यसागरीय तट) शहर में किया जा रहा है।

अनुबंध के तहत, रूस एनपीपी के निर्माण, इसके पूरे जीवनचक्र के लिए परमाणु ईंधन पहुंचाने, कर्मचारियों के प्रशिक्षण में सहायता करने और इसके संचालन में पहले 10 वर्षों तक सहयोग करने के लिए जिम्मेदार है।

इसके अलावा रूस एक विशेष भंडारण सुविधा भी बनाएगा और खर्च किए गए परमाणु ईंधन के भंडारण के लिए पीपों को भी वितरित करेगा।
गौरतलब है कि साल 2024 के अंत तक निर्माण स्थल पर 17,000 लोगों के काम करने की उम्मीद है। एनपीपी कर्मचारियों की संख्या 2025 में चरम पर होगी, 2025 में यह संख्या 32,000 श्रमिकों तक पहुंच जाएगी। श्रम स्थानीयकरण समझौतों के तहत, मिस्र की कंपनियां 30% तक निर्माण कार्य (बुनियादी ढांचा और सड़क निर्माण) करेंगी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
रूस परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण कर कैसे श्रीलंका को ऊर्जा समाधान में मदद कर सकता है
विचार-विमर्श करें