मतदान केंद्रों पर सेना की तैनाती अतीत में विवादास्पद रही है, कई राजनीतिक नेताओं ने आरोप लगाया है कि सेना सुरक्षा प्रदान करने के बजाय अपनी पसंदीदा पार्टी की मदद करने के लिए सैनिकों का उपयोग करती है, सेना इस आरोप से इनकार करती है।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर की अध्यक्षता में कैबिनेट ने शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती को मंजूरी दे दी, "ये टुकड़ियां मतदान केंद्रों और संवेदनशील क्षेत्रों में ड्यूटी करेंगी," काकर के कार्यालय ने एक बयान में कहा।
यह निर्णय पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) द्वारा 8 फरवरी को देश भर में सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए 2,77,000 सैन्य कर्मियों को तैनात करने की मांग के बाद आया है, जब 126 मिलियन से अधिक पाकिस्तानी मतदाता अपना वोट डालेंगे।
दरअसल सरकार को उखाड़ फेंकने और सख्त इस्लामी कानून का अपना ब्रांड स्थापित करने का लक्ष्य रखने वाले आतंकवादियों के हमलों में बढ़ोतरी से राजनीतिक नेताओं के बीच चिंता बढ़ गयी है कि इस तरह की हिंसा से चुनावों के शांतिपूर्ण आयोजन को खतरा हो सकता है।
गौरतलब है कि साल 2018 में पाकिस्तान के आखिरी चुनाव के समय सुरक्षा प्रदान करने के लिए देश भर में सैकड़ों हजारों सैनिकों को तैनात किया गया था, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता में लाया।