दोनों विपक्षी पार्टियों ने एक बयान जारी कर मुइज्जू सरकार की विदेश नीति को देश के दीर्घकालिक विकास के लिए "बेहद हानिकारक" करार दिया।
मालदीव की विदेश नीति की दिशा के बारे में दिए गए बयान में दोनों पार्टियों ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान प्रशासन भारत विरोधी रुख अपना रहा है। किसी भी विकास भागीदार और विशेष रूप से देश के सबसे पुराने सहयोगी को अलग करना देश के दीर्घकालिक विकास के लिए बेहद हानिकारक होगा।"
इसके अलावा उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा, “देश की सरकारों को लगातार मालदीव के लोगों के लाभ के लिए सभी विकास भागीदारों के साथ काम करने में सक्षम होना चाहिए, जैसा कि मालदीव पारंपरिक रूप से करता आया है। हिंद महासागर में स्थिरता और सुरक्षा मालदीव की स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।”
गौरतलब है कि पिछले महीने मालदीव के तीन उपमंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के दौरान उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां पोस्ट करने के बाद दोनों देशों के बीच विवाद गहरा गया।
इसके बाद भारतीय पर्यटकों द्वारा बहिष्कार का आह्वान किया गया, जिनकी संख्या सबसे अधिक थी, जिसके बाद रूस का स्थान था। हालांकि राष्ट्रपति मुइज्जू ने तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुइज्जू ने भारत को 15 मार्च तक अपने सैन्य कर्मियों को वापस भारत बुला लेने के लिए भी कहा है। नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत द्वारा प्रदान किए गए डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टरों को संचालित करने में मदद के लिए मालदीव में 88 भारतीय सैन्य कर्मी तैनात हैं।