अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में कुछ अलगाववादी नेताओं द्वारा अलग पंजाब की मांग की जा रही है, इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तान जनमत संग्रह का आयोजन किया।
सैन फ्रांसिस्को में आयोजित हुए इस जनमत संग्रह में अमेरिका ने प्रथम संशोधन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए जनमत संग्रह की अनुमति दी। इससे यह बात साफ है कि अमेरिका ने भारत के खिलाफ चल रहे जनमत संग्रह को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
मीडिया के अनुसार, आंदोलन के समर्थकों ने कैलिफोर्निया में राजमार्गों पर होर्डिंग्स लगाने के साथ साथ अपनी कारों को स्टिकर से सजाया। इसके अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भी खालिस्तान जनमत संग्रह के लिए 2021 से मतदान हो रहा है।
इसके अलावा कनाडा और अमेरिका ने भारत के खिलाफ खड़ी हो रही इन ताकतों को कभी नहीं रोका, इसलिए खालिस्तान की मांग करने वाले लोग समय समय पर सामने आते रहते हैं। जिस कारण से आए दिन अमेरिका और कनाडा में हिन्दू मंदिरों पर हमला होने के साथ साथ भारत के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं।
इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी पुष्टि कर चुके हैं कि कनाडाई राजनीति ने खालिस्तानी ताकतों को जगह दी है और उन्हें ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की भी अनुमति दी है जो भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।