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कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद तहखाने में हिंदुओं को दी पूजा की अनुमति

वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के पहले से सील किए गए तहखाने 'व्यास का तहखाना' क्षेत्र के अंदर हिंदू पूजा कर सकते हैं।
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अदालत ने सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन को भक्तों द्वारा की जाने वाली 'पूजा' के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को इसके लिए एक पुजारी को नामित करने के लिए कहा है।
"हिंदू पक्ष को प्रार्थना करने की अनुमति दी गई है। जिला प्रशासन को सात दिनों में व्यवस्था करनी होगी। सभी को वहां प्रार्थना करने का अधिकार होगा," चार हिंदू महिला याचिकाकर्ताओं के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा।
दरअसल मस्जिद में चार 'तेखाना' या तहखाने हैं। एक अभी भी पुजारियों के परिवार के कब्जे में है जो वहां रहते थे। परिवार ने तर्क दिया था कि वंशानुगत पुजारी के रूप में, उन्हें संरचना में प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
याचिका के अनुसार, पुजारी सोमनाथ व्यास 1993 तक पूजा-अर्चना करते थे, जब तक कि तहखाना बंद नहीं हो गया था।

"मैं वाराणसी कोर्ट के आदेश को 1983 में जस्टिस कृष्ण मोहन पांडे द्वारा दिए गए आदेश के समान ऐतिहासिक देखता हूं, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के ताले खोलने का आदेश दिया था," वकील विष्णु जैन ने कहा।

इस बीच, इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि वे वाराणसी अदालत के आदेश से निराश हैं, ऊपरी अदालत में जाने का विकल्प खुला है।
पहले यह दावा किया गया था कि यहाँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा सर्वेक्षण के दौरान हिंदू देवताओं की मूर्तियां मिली थीं। यह भी दावा किया गया था कि पहले से मौजूद मंदिर की संरचना के स्तंभों सहित कुछ हिस्सों को मस्जिद के निर्माण में उपयोग किया गया था।
बता दें कि बुधवार का आदेश चार हिंदू महिलाओं द्वारा मस्जिद परिसर के सीलबंद 'वज़ुखाना' क्षेत्र के अंदर पाए गए 'शिवलिंग' की खुदाई और वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के एक दिन बाद आया है।
ऑफबीट
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