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सीमा विवाद के बावजूद भारत-चीन के द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी: विशेषज्ञ

भारत में चीनी दूत मा जिया ने कहा है कि भारत और चीन के मध्य व्यापार 2023 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। उसी दिन, रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि सौर उपकरण विनिर्माण के लिए भारत के उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना से चीनी भागीदारी में बढ़ोतरी देखी जाएगी।
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वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के साथ सैन्य गतिरोध पर द्विपक्षीय तनाव जारी रहने के बावजूद चीन के आंकड़ों के अनुसार 2022 में द्विपक्षीय व्यापार रिकॉर्ड 135.98 डॉलर तक पहुंच गया था। चीन से भारत में आयात में 21% की वृद्धि के कारण चीन के पक्ष में व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर को पार कर गया था।
आर्थिक मामलों के प्रोफेसर सुधांशु कुमार Sputnik India से बात करते हुए बताया कि दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में 0.16 प्रतिशत की मामूली वृद्धि कोई ऐसा आंकड़ा नहीं है जो दोनों देशों के मध्य संबंधों में किसी महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत दे सके।

प्रोफेसर कुमार ने कहा, “व्यापार संखयाएं दर्शाती हैं कि व्यापार उन वस्तुओं का है जिनके लिए दोनों देशों के पास कम विकल्प उपलब्ध हैं। व्यापार घाटा चीन के पक्ष में है और चीन से आयात में 21 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह और भी बढ़ गया है। भारत के लिए चीन से आयात और निर्यात के अंतर को कम करना चुनौती बनी हुई है।"

द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा पिछले वर्ष 1.5% की वर्ष प्रतिवर्ष वृद्धि के साथ 136.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई। "पिछले वर्ष चीन को भारत का निर्यात भी 6% बढ़ा,'' चीनी राजदूत ने द्विपक्षीय व्यापार घाटे में संतुलन बनाने के प्रयास की ओर इंगित करते हुए कहा।

प्रोफेसर कुमार जोर देकर कहते हैं, "व्यापार में 0.16 प्रतिशत की वृद्धि को रिकॉर्ड स्तर कहना थोड़ी अतिशयोक्ति है। पिछले वर्ष की तुलना में 2023 द्विपक्षीय व्यापार आंकड़ों में परिवर्तन मुद्रास्फीति के कारण उत्पाद के मूल्यों में 4-5 प्रतिशत की वृद्धि से अत्यंत कम है। संखयाएं दर्शाती हैं कि दोनों देशों के मध्य विश्वास की कमी का द्विपक्षीय व्यापार वृद्धि पर स्थायी प्रभाव पड़ा है।"

गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने व्यापार में बढ़ोतरी के बावजूद दोनों देशों के संबंधों में कोई नया परिवर्तन नहीं होने की बात कही।

जब प्रोफेसर से पूछा गया कि क्या अब रिश्तों को सामान्य कहा जा सकता है, उन्होंने कहा, "भारत-चीन संबंधों पर हमने अपनी प्रेस वार्ता में कई बार यह कहा है। हमारे विदेश मंत्री ने भी हमारे विचारों से अवगत कराया है। हम अपने मुख्य मुद्दों, यानी सीमा पर शांति के लिए चीन के साथ बातचीत जारी रखे हुए हैं। हमारी सैन्य से सैन्य स्तर पर और राजनयिक स्तर पर संलग्नताएं हैं।"

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कह चुके हैं कि सीमा पर जो परिस्थिति है उसे देखते हुए चीन के साथ रिश्ते को सामान्य नहीं कहा जा सकता है।
2020 में चीन द्वारा एलएसी पर सैनिकों को इकट्ठा करने और झड़पों के बाद से सैन्य कमांडरों ने 20 दौर की बातचीत की है। पिछले वर्ष दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मध्य अनौपचारिक बैठक के बावजूद, डेमचोक और देपसांग में कम से कम दो बिंदुओं पर गतिरोध बनी हुई है।
प्रोफेसर कुमार ने कहा, “कई अवसरों पर विवाद और चीनी सरकार का रुख विश्वास की कमी में परिलक्षित होता है और इसलिए, व्यापार क्षमता की प्राप्ति को सीमित कर दिया है।"
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