प्रोफेसर कुमार ने कहा, “व्यापार संखयाएं दर्शाती हैं कि व्यापार उन वस्तुओं का है जिनके लिए दोनों देशों के पास कम विकल्प उपलब्ध हैं। व्यापार घाटा चीन के पक्ष में है और चीन से आयात में 21 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह और भी बढ़ गया है। भारत के लिए चीन से आयात और निर्यात के अंतर को कम करना चुनौती बनी हुई है।"
प्रोफेसर कुमार जोर देकर कहते हैं, "व्यापार में 0.16 प्रतिशत की वृद्धि को रिकॉर्ड स्तर कहना थोड़ी अतिशयोक्ति है। पिछले वर्ष की तुलना में 2023 द्विपक्षीय व्यापार आंकड़ों में परिवर्तन मुद्रास्फीति के कारण उत्पाद के मूल्यों में 4-5 प्रतिशत की वृद्धि से अत्यंत कम है। संखयाएं दर्शाती हैं कि दोनों देशों के मध्य विश्वास की कमी का द्विपक्षीय व्यापार वृद्धि पर स्थायी प्रभाव पड़ा है।"
जब प्रोफेसर से पूछा गया कि क्या अब रिश्तों को सामान्य कहा जा सकता है, उन्होंने कहा, "भारत-चीन संबंधों पर हमने अपनी प्रेस वार्ता में कई बार यह कहा है। हमारे विदेश मंत्री ने भी हमारे विचारों से अवगत कराया है। हम अपने मुख्य मुद्दों, यानी सीमा पर शांति के लिए चीन के साथ बातचीत जारी रखे हुए हैं। हमारी सैन्य से सैन्य स्तर पर और राजनयिक स्तर पर संलग्नताएं हैं।"