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परिवहन क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करने वाली पायलट परियोजनाओं के लिए सरकारी दिशानिर्देश

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRI) ने 'परिवहन क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के उपयोग हेतु पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए योजना दिशानिर्देश' जारी किए हैं।
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भारत की केंद्र सरकार ने ईंधन के रूप में हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए बसों, ट्रकों और चार पहिया वाहनों में इसके उपयोग पर चल रही परियोजनाओं का समर्थन करने की योजना के दिशानिर्देश जारी किए हैं।
मंत्रालय द्वारा जारी किये गए एक बयान के मुताबिक यह योजना वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 496 करोड़ रुपये के कुल बजट के साथ लागू की जाएगी।

MNRI ने एक बयान में कहा, “नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रोलाइजर की गिरती लागत के साथ, यह उम्मीद की जाती है कि हरित हाइड्रोजन पर आधारित वाहन अगले कुछ वर्षों में लागत-प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं। भविष्य की अर्थव्यवस्थाओं के पैमाने और हाइड्रोजन द्वारा संचालित वाहनों के क्षेत्र में हो रही तेज तकनीकी प्रगति से हरित हाइड्रोजन पर आधारित परिवहन की व्यवहार्यता में और सुधार होने की संभावना है।"

बयान के मुताबिक राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत चल रही अन्य पहलों के साथ MNRI परिवहन क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन को हरित हाइड्रोजन और उसके जैसे दूसरे विकल्पों के साथ बदलने के लिए पायलट परियोजनाओं को लागू करेगा।
इन पायलट परियोजनाओं को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा योजना के तहत नामित काम करने वाली एजेंसियों के माध्यम से पूरा किया जाएगा। यह ईंधन आंतरिक दहन इंजन-आधारित प्रणोदन प्रौद्योगिकी के आधार पर बसों, ट्रकों और चार पहिया वाहनों में ईंधन के रूप में हरित हाइड्रोजन के उपयोग के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास का समर्थन करेगा।
यह योजना परिवहन क्षेत्र में विभिन्न हाइड्रोजन नवाचारों को अपनाने की सुविधा भी प्रदान करेगी, जिसमें मेथनॉल और इथेनॉल के हरित हाइड्रोजन आधारित मिश्रणों के साथ-साथ ऑटोमोबाइल ईंधन में हरित हाइड्रोजन से प्राप्त अन्य सिंथेटिक ईंधन का उपयोग भी शामिल है, जिसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना है। .
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