जोधपुर में स्थित दक्षिण एशिया बायोटेक्नोलॉजी केंद्र के संस्थापक और प्रबंधक भागीरथ चौधरी ने Sputnik India को बताया कि भारतीय कृषि का विकास इस क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने के माध्यम से और किसानों को आधुनिक मशीनरी और प्रौद्योगिकी प्रदान करने से सुनिश्चित किया जा सकता है।
देश में खेती की अच्छी स्थिति सुनिश्चित करने के लिए और इसके परिणस्वरूप उत्तम फल प्राप्त करने के लिए कुछ ऐसे विषय हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, इसलिए भारतीय कृषि सरकार को इसे चर्चा और निर्णय में लेने की प्रक्रिया में सम्मिलित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "अगर हमें भारत को विकसित देश बनाना है, तो सभी संबंधित पक्षों को आवश्यक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराकर कृषि को आधुनिक बनाने का प्रयास करना होगा।"
विशेषज्ञ ने साथ ही कहा कि भारतीय किसानों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहायता की अधिक आवश्यकता है, जैसा कि विश्व भर के कई देशों द्वारा किया जा रहा है।
चौधरी ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि वर्तमान में बहुत कम भारतीय फसल निर्यात की जा रही है। हालांकि भारत ने अन्य क्षेत्रों की तरह कृषि के क्षेत्र में भी कई सफलताएँ प्राप्त की हैं, परंतु फिर भी बहुत कुछ करना है।
कृषि विशेषज्ञ की बातों के अनुसार रूस और भारत को इस क्षेत्र में भागीदारी करके बहुत संभावनाएं मिलें। भारत और रूस के लिए कृषि क्षेत्र में सहयोग की अत्यधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत रूस को स्वदेशी रूप से विकसित अच्छी गुणवत्ता वाले बीज प्रदान कर सकता है।
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ती के समय देश के कुल कार्यबल का लगभग 70 प्रतिशत वर्ग कृषि में कार्यरत था और इस क्षेत्र का भारत के आर्थिक उत्पादन में 54 प्रतिशत योगदान था।
हालाँकि, हाल के दशकों में भारत के वार्षिक आर्थिक उत्पादन में कृषि के योगदान में बहुत गिरावट आई है।