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भारत में अब गरीबों की संख्या 5 प्रतिशत से भी कम: रिपोर्ट

इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं। सरकार के 'सार्वजनिक नीति निकाय चर्चा पत्र के मुताबिक भारत में 2013-14 और 2022-23 के बीच गरीबी के सभी आयामों को देखने के लिए सरकारी योजनाओं को श्रेय जाता है।
Sputnik
भारत में नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रमण्यम ने उपभोग और व्यय पर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट का सारांश जारी करते हुए कहा कि भारत में गरीब लोगों की संख्या 5 प्रतिशत से भी कम है।
इसके अलावा नीति आयोग के नवीनतम शोध निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत में सबसे गरीब 5% लोग ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति माह 1,441 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 2,087 रुपये खर्च करते हैं। इस जानकारी को लेकर सुब्रमण्यम कहते हैं कि यह डेटा उन्हे इस बात पर यकीन दिलाता है।

नीति आयोग के सीईओ सुब्रमण्यम ने भारतीय मीडिया को बताया, "देखिए, तेंदुलकर समिति की एक पुरानी रिपोर्ट थी कि कौन गरीब होने के योग्य हो सकता है। अगर हम इसे इस सर्वेक्षण के आंकड़ों के साथ जोड़ते हैं, तो यह पता चलता है कि भारत में 5% से भी कम गरीब बचे हैं।"

तेंदुलकर समिति का गठन दिसंबर 2005 में योजना आयोग द्वारा किया गया था, जिसे बाद में नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।
आगे उन्होंने बताया कि इन आंकड़ों का मतलब यह नहीं है कि भारत में लोग खुशहाल हैं लेकिन यह जरूर है कि पूर्ण रूप से गरीबी में रहने वाले लोग अब 5% से भी कम हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत, शहरी भारत की तुलना में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जहां शहरी आय 2.5 गुना बढ़ी है, वहीं ग्रामीण आय 2.6 गुना बढ़ी है।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया है कि खपत की तुलना में भी गाँव शहरों से आगे निकल गया है, जिससे दोनों के बीच का अंतर कम हुआ है। अगर 2011-12 की बात करें तो यह अंतर 84 फीसदी था, जो अब घटकर 71 फीसदी रह गया है।
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