विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान कहा कि "बुधवार को भारत ने अमेरिकी दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी को तलब कर अमेरिकी विदेश विभाग की टिप्पणियों को लेकर कड़ी आपत्ति और विरोध दर्ज कराया था।"
जयसवाल ने कहा, "अमेरिकी विदेश विभाग की हालिया टिप्पणियाँ अनुचित हैं। हमारी चुनावी और कानूनी प्रक्रियाओं पर ऐसा कोई भी बाहरी आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य है। भारत में, कानूनी प्रक्रियाएं केवल कानून के शासन द्वारा संचालित होती हैं।"
साथ ही उन्होंने कहा कि "भारत को अपने स्वतंत्र और मजबूत लोकतांत्रिक संस्थानों पर गर्व है। हम उन्हें किसी भी प्रकार के अनुचित बाहरी प्रभाव से बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
केजरीवाल पर अमेरिका की बार-बार की गई टिप्पणियों पर प्रश्नों के उत्तर में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "आपसी सम्मान और समझ अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नींव बनाती है और अन्य देशों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है।"
वस्तुतः अमेरिका एकमात्र पश्चिमी देश नहीं है, जिसे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए भारत की कड़ी आपत्तियों का सामना करना पड़ा था।
ज्ञात है कि शराब नीति की जांच के मामले में 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका और जर्मनी ने टिप्पणी की। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने दोनों को चेतावनी देते हुए स्मरण दिलाया कि यह भारत की न्यायिक प्रक्रिया है।
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने जर्मन दूतावास के मिशन के उप प्रमुख जॉर्ज एनज़वीलर को तलब कर कड़ी आपत्ति व्यक्त की।
शराब नीति मामले में गिरफ्तारी
अरविंद केजरीवाल को कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में पिछले सप्ताह प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय का मानना है कि शराब नीति मामले में 600 करोड़ से अधिक की रिश्वत ली गई। और इस पैसे का इस्तेमाल कथित तौर पर आम आदमी पार्टी के पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव अभियानों में किया गया था।
ईडी ने इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री को मुख्य षड्यंत्रकर्ता करार दिया है, हालांकि केजरीवाल और इस मामले में गिरफ्तार किए गए पार्टी सहयोगियों पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन सभी ने आरोपों से इनकार किया है।