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अरविंद केजरीवाल के लिए पश्चिमी सहयोगियों के समर्थन के संबंध में भारत की प्रतिक्रिया

© AP Photo / Manish SwarupRapid Action Force soldiers stand guard outside outside the office of India's ruling Bharatiya Janata Party where supporters of the Aam Aadmi Party, or Common Man's Party, had gathered in protest, in New Delhi, India, Friday, March 22, 2024. Anti-corruption crusader and AAP leader Arvind Kejriwal was arrested Thursday by the federal investigative agency for suspected financial crimes, which accused his party and ministers of accepting 1 billion rupees ($12 million) in bribes from liquor contractors nearly two years ago, his party said, adding a fresh challenge for India's opposition ahead of general elections. (AP Photo/Manish Swarup)
Rapid Action Force soldiers stand guard outside outside the office of India's ruling Bharatiya Janata Party where supporters of the Aam Aadmi Party, or Common Man's Party, had gathered in protest, in New Delhi, India, Friday, March 22, 2024. Anti-corruption crusader and AAP leader Arvind Kejriwal was arrested Thursday by the federal investigative agency for suspected financial crimes, which accused his party and ministers of accepting 1 billion rupees ($12 million) in bribes from liquor contractors nearly two years ago, his party said, adding a fresh challenge for India's opposition ahead of general elections. (AP Photo/Manish Swarup) - Sputnik भारत, 1920, 26.03.2024
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सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। शनिवार को भारत ने इस गिरफ्तारी पर जर्मनी के हस्तक्षेप पर जर्मनी के राजदूत को तलब किया।
भारतीय रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ ने Sputnik India को बताया कि भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के प्रति अमेरिका, जर्मनी और पश्चिमी मीडिया द्वारा अपनाई गई सहानुभूति उनके भारत विरोधी एजेंडे का एक प्रतीक है।
पिछले हफ्ते प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल केजरीवाल को दिल्ली की पूर्व आबकारी नीती 2021-22 के दौरान शराब घोटाले में शराब लाइसेंस वितरित करने के लिए लाखों डॉलर रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी को लेकर अगले महीने होने वाले राष्ट्रीय चुनाव से पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया।
इसी समय पश्चिमी मीडिया ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा "विपक्ष पर दमन की कार्रवाई" का हिस्सा करार दिया है।
शनिवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब किया और केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश कार्यालय की टिप्पणी के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया।
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, "हम इस तरह की टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में देखते हैं।"

पश्चिम का पर्दाफाश

राष्ट्रीय सुरक्षा थिंक टैंक ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पॉलिसी फाउंडेशन पुणे के अध्यक्ष डॉ अनंत भागवत ने Sputnik को बताया कि अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिमी गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन के लिए "मजबूत जनादेश" के पक्ष में नहीं है।

उन्होंने कहा, "समय-समय पर, संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार में हस्तक्षेप करने के लिए विभिन्न तरीकों को अपनाया है क्योंकि यह सरकार अमेरिकी हितों के अधीन नहीं है।"

अनंत भागवत ने बताया कि अमेरिका की विदेश नीति मुख्य रूप से मौजूदा प्रशासन (रिपब्लिकन पार्टी या डेमोक्रेटिक पार्टी), डीप स्टेट, पेंटागन और प्रवासी जैसे कारकों द्वारा निर्धारित होती है।
अनंत भागवत के अनुसार मौजूदा पार्टी और सत्ता में राष्ट्रपति के साथ-साथ पेंटागन ने भी अपनी विदेश नीति में काफी "व्यावहारिक" दृष्टिकोण अपनाया है।
उन्होंने कहा, "उनका रुख भारत के प्रति व्यापार और भू-राजनीतिक कारकों से प्रेरित है।"

डीप स्टेट को भारत-अमेरिका संबंधों में सबसे बड़ी गड़बड़ी बताते हुए उन्होंने कहा, "डीप स्टेट जिसका प्रमुख मीडिया संगठनों सहित अमेरिकी सरकार में व्यापक प्रभाव है, हमारे राजनीतिक मामलों और निर्णय लेने की प्रक्रिया में लगातार हस्तक्षेप के माध्यम से भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। डीप स्टेट भारत को अस्थिर करने पर तुला है जैसा कि उसने कई अन्य देशों में किया है।"

बता दें कि वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स और सीएनएन जैसे मीडिया समूहों में उदारतापूर्वक योगदान देने के लिए प्रसिद्ध अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस भी अरविंद केजरीवाल जैसे भारतीय विपक्षी राजनेताओं का समर्थन कर रहे थे।
आरोप नए नहीं हैं क्योंकि भारतीय गृह मंत्री अमित शाह पहले भी ऐसी चिंताएँ व्यक्त कर चुके हैं। अनंत भागवत ने कहा कि केजरीवाल भारतीय राष्ट्रीय हित को कमजोर करने के लिए सोरोस जैसी "भारत विरोधी शक्तियों" के इशारे पर काम कर रहे हैं।
अनंत भागवत ने खालिस्तान समर्थक आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नून के एक हालिया वीडियो का भी हवाला दिया। वीडियो में दावा किया गया था कि 2014 और 2022 के बीच केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने एक दोषी हमलावर देविंदर पाल सिंह भुल्लर को भारतीय हिरासत से रिहा कराने के बदले में सिख अलगाववादी समूहों से लगभग 16 मिलियन डॉलर का दान लिया।
विशेषज्ञ ने आगे कहा कि जनमत सर्वेक्षणों और जून में भाजपा कैडर के बीच भावनाओं ने प्रधान मंत्री मोदी के लिए बहुमत की ओर इशारा किया है।

अनंत भागवत ने साथ ही कहा, "केजरीवाल के भारत विरोधी एजेंडा का पर्दाफाश हो गया। लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि केजरीवाल का समर्थन करते हुए पश्चिम का भी पर्दाफाश हो गया। भारत ने पहले ही जर्मनी को अपनी नाराजगी बहुत दृढ़ता से व्यक्त करा दी है। पश्चिमी शक्तियां अंततः इस तथ्य से सहमत होंगी कि भारतीय जनता मोदी के साथ है और बदनाम विपक्षी राजनेताओं को बढ़ावा देकर गुस्सा भड़काने की ऐसी कोशिशें अब काम नहीं करेंगी।''

बाहरी प्रमाण की आवश्यकता नहीं

वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स, सीएनएन और बीबीसी जैसे प्रमुख पश्चिमी मीडिया संगठनों में केजरीवाल की गिरफ्तारी का कवरेज भाजपा के वरिष्ठ अधिकारियों को पसंद नहीं आया।

भाजपा के सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) सेल के राष्ट्रीय संयोजक अमित मालवीय ने Sputnik India को बताया, "भारत एक मजबूत और संपन्न लोकतंत्र है। हमारे पास स्वतंत्र प्रेस और कानून का शासन सुनिश्चित करती क्रियाशील न्यायपालिका है। पश्चिमी मीडिया का इस बात पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर होगा कि अमेरिकी एजेंसियां भारत के मामलों पर गलत टिप्पणी करने के बजाय अपने पूर्व राष्ट्रपति के साथ सामूहिक रूप से क्या कर रही हैं।"

मालवीय ने इस पर जोर दिया कि भारतीय अदालतें और लोग (मतदान के माध्यम से) "अच्छे और बुरे सभी मामलों के अंतिम मध्यस्थ" बन रहे हैं।
उन्होंने कहा, ''हमें बाहरी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है।"
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