हाल ही में यूक्रेन की सरकार ने सैन्य भर्ती की उम्र 27 से घटाकर 25 वर्ष कर दी। माना जाता है कि यूक्रेन दो वर्ष से अधिक समय से चली आ रही जंग में गोला-बारूद के साथ-साथ सैनिकों की भारी कमी का भी सामना कर रहा है, जिससे रूस की सभी मोर्चे पर विजय हो रही है।
इस बीच Sputnik ने मानवाधिकार कार्यकर्ता डैन कोवालिक से पूछा कि क्या यह यूक्रेन के प्रतिरोध के अंत के आरंभ का प्रतीक हो सकता है। कोवालिक ने कहा, "मुझे लगता है कि हम अंत के आरंभ से आगे निकल चुके हैं।"
कोवालिक ने कहा, "वे सड़कों पर लड़ने के लिए बुजुर्ग पुरुषों और गर्भवती महिलाओं को जबरन भर्ती कर रहे हैं। तो यह संकेत है कि उनकी सेना ध्वस्त हो गई है। यही कारण है कि फ्रांसीसी सेना भेजने की तैयारी कर रहे हैं।"
नाटो के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने बुधवार को यूक्रेन के लिए 100 अरब यूरो के पंच वर्षीय फंड हेतु नाटो प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग के प्रस्ताव पर चर्चा की। यह ऐसे समय में हुआ, जब यूरोप को डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने का भय सता रहा है। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन के अनुसार, ट्रम्प ने कहा है कि यदि वे चुने जाते हैं, तो वे रूस के विरुद्ध लड़ाई में यूक्रेन की सहायता नहीं करेंगे।
कोवलिक ने कहा, "यूक्रेन की सेना खत्म हो गई है। सब नष्ट हो गया और स्पष्ट है कि फ्रांसीसी सैनिकों के बिना वे संभवतः इस बिंदु पर आत्मसमर्पण कर देंगे। हां, मुझे लगता है कि यह एक संकेत है कि यूक्रेन की सेना खत्म हो गई है।"