व्यापार और अर्थव्यवस्था

रूसी हीरों पर G7 के प्रतिबंधों को लेकर भारतीय विदेश मंत्री ने बेल्जियम के सामने चिंता व्यक्त की

भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर का मानना है कि रूसी हीरों पर G7 के प्रतिबंधों से भारत पर गहरा असर पड़ेगा। वे प्रतिबंध में देरी करने, नरम करने या इसे पूरी तरह से रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
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मंगलवार को जयशंकर ने नई दिल्ली में बेल्जियम की वरिष्ठ राजनयिक थियोडोरा जेंट्ज़िस के साथ रूसी हीरे पर G7 प्रतिबंधों से प्रभावित भारतीय हीरा उद्योग की चिंताओं के बारे मे बात की।

“भारत, बेल्जियम और यूरोपीय संघ के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की गई। हमारे हीरा उद्योग की चिंताओं को उठाया। सेमीकंडक्टर और हरित विकास पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया,” जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा।

नई दिल्ली ने कहा है कि रूसी हीरे के आयात पर G7 के प्रतिबंध से भारत को नुकसान हुआ है, जो अपने बढ़ते पॉलिश हीरे के निर्यात कारोबार के लिए रूसी कच्चे हीरे पर निर्भर रहा है।
हाल ही में उन्होंने भारत के प्रमुख हीरा प्रसंस्करण केंद्र सूरत में युवा व्यापारिक नेताओं को प्रतिबंध के प्रभावों को कम करने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प से अवगत कराया है, जिसके अंतर्गत इसके कार्यान्वयन में देरी करना, नरम करना या इसे पूरी तरह से रोकना है।

जयशंकर ने भारत के लिए इस मुद्दे की तात्कालिकता को रेखांकित किया और इस बात पर जोर दिया कि देश में सैकड़ों-हजारों नौकरियां रूसी वस्तुओं पर निर्भर हैं और रूसी हीरा निर्यात को लक्षित करने वाले पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रतिकूल प्रभावों पर चिंता व्यक्त की।

दरअसल सूरत, जिसे अक्सर 'डायमंड सिटी' कहा जाता है, वैश्विक हीरा व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, दुनिया के लगभग 90% कच्चे हीरे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश करने से पहले यहीं तराशे जाते हैं। वहीं मात्रा के हिसाब से दुनिया में कच्चे हीरों का सबसे बड़ा उत्पादक रूस है।
बता दें कि जयशंकर ने प्रतिबंधों के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय संघ के अध्यक्ष पद पर कार्यरत बेल्जियम के प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर डी क्रू के साथ हाल की बातचीत का खुलासा किया, जिसमें आने वाले दिनों में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा और भी बातचीत की योजना है।
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