भारतीय विदेश मंत्रालय ने रविवार सुबह कहा कि इजराइल और ईरान के बीच बढ़ती शत्रुता से भारत गंभीर रूप से चिंतित है, जिससे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है।
मंत्रालय ने रविवार सुबह एक बयान में कहा, "हम तत्काल तनाव कम करने, संयम बरतने, हिंसा से पीछे हटने और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान करते हैं।" बयान में कहा गया, "हम उभरती स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं। क्षेत्र में हमारे दूतावास भारतीय समुदाय के साथ निकट संपर्क में हैं।"
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ईरान और इजराइल में लगभग 20 हजार भारतीय नागरिक स्थित हैं। इसके अलावा, मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह महत्वपूर्ण है कि क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे।
अशान्ति रात
ईरानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि तेहरान ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत मान्यता प्राप्त आत्मरक्षा के अपने अंतर्निहित अधिकार का प्रयोग करते हुए इजराइल के सैन्य ठिकानों पर कई सैन्य हमले किए हैं।
इस्लामी गणतंत्र ईरान ने कहा कि यह कार्रवाई इजराइल के बार-बार होने वाले सैन्य हमलों के जवाब में थी, जैसे गत 1 अप्रैल को इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थित ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हवाई हमला किया था।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थायी मिशन ने कहा कि अब मामले को समाप्त माना जा सकता है, लेकिन अगर इजराइल ने अगर इजराइली ने एक और गलती की, तो ईरान की प्रतिक्रिया काफी गंभीर होगी।
99 प्रतिशत मिसाइलें नष्ट: इजराइल
वहीं, इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने एक बयान में कहा कि ईरान से सतह से सतह पर मार करने वाली दर्जनों मिलाइलों को इजराइल की ओर छोड़ा गया। ज़्यादतर मिसाइलों को की सीमा के बाहर ही रिका गया।
यूरोपित संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने ईरान की इस कार्रवाई की निंदा करते हुए सभी नेताओं से तनाव को आगे बढ़ाने से बचने और क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने का आग्रह किया।
एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की और कहा कि अमेरिका ईरान पर इजराइल की जवाबी कार्रवाई का समर्थन नहीं करेगा।