संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुरक्षा परिषद सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) की बैठक को संबोधित करते हुए, भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने पाठ-आधारित वार्ता में आगे बढ़ने से पहले विभिन्न मुद्दों पर 'आम सहमति' बनाने का भी आह्वान किया।
"इस वर्तमान अंतर-सरकारी वार्ता समूह की पिछली पाँच बैठकों के दौरान, विस्तृत रूप में आपको हमारे सुझाव सुनने का मौका मिला है, जिसमें सुधारों के विभिन्न मॉडलों पर एक आकर्षक चर्चा भी शामिल है जिसमें दर्शाया गया है कि एलिमेंट्स पेपर में हम वास्तव में क्या अपडेट देखना चाहते हैं," कंबोज ने कहा।
इसके अलावा उन्होंने सभी क्षेत्रों से विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व करने के लिए यूएनएससी की स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यता का विस्तार करने का भी आह्वान किया।
अंतर-सरकारी वार्ता बैठक क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार पर बातचीत आईजीएन के ढांचे के तहत की जा रही है, जो मूल रूप से एक अंतर-संयुक्त राष्ट्र समूह है।
इन अंतर-सरकारी वार्ताओं में भी भारत सक्रिय रूप से भाग ले रहा है और G-4 (भारत, जापान, ब्राजील और जर्मनी) और विभिन्न विकासशील देशों के एक क्षेत्रीय समूह के जरिए सुधार चाहने वाले अन्य देशों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
भारत का मानना है कि सुरक्षा परिषद में शीघ्र सुधार किया जाए, जिसके अंतर्गत स्थायी एवं अस्थायी दोनों श्रेणियों की सदस्यता का विस्तार शामिल है ताकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को और भी प्रतिनिधिक एवं पारदर्शी बनाकर इसके निर्णयों के क्रियान्वयन की प्रभाविता एवं वैधता में वृद्धि की जाए।
कंबोज ने कहा, "भारत स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के विस्तार के पक्ष में है, क्योंकि सुरक्षा परिषद में वास्तविक सुधार लाने और इसे वैध, प्रतिनिधिक, उत्तरदायी और प्रभावी बनाने का यही एकमात्र तरीका है। हमें एक संशोधित सुरक्षा परिषद की आवश्यकता है जो आज संयुक्त राष्ट्र की भौगोलिक और विकासात्मक विविधता को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करे। और, इसके लिए सदस्यता की दोनों श्रेणियों में परिषद का विस्तार नितांत आवश्यक है।"
बता दें कि रूस सहित अनेक देशों ने सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत के प्रयासों तथा स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।