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साइबेरिया और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाली रूसी रेलवे: सदी की परियोजना और विकास परिदृश्य

साइबेरिया और सुदूर पूर्वी रूस को जोड़ने के लिए सोवियत संघ की सरकार ने 8 जुलाई 1974 को बैकाल-अमूर मेनलाइन (बीएएम) के निर्माण का संकल्प किया। इस साल रूस इस घटनाक्रम की 50वीं वर्षगांठ बना रहा है।
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इस दुर्गम रेल मार्ग का निर्माण अत्यंत कठिन जलवायु परिस्थितियों में किया गया था जो पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों और पर्माफ्रॉस्ट क्षेत्रों से होकर गुजरती है।
बीएएम पूर्वी रेलवे नेटवर्क का हिस्सा है और प्रशांत महासागर का सबसे छोटा मार्ग है जो ट्रांस-साइबेरियन के उत्तर में और कुछ हिस्सों में इसके समानांतर चलती है। यह ताइशेट स्टेशन से शुरू होता है, इरकुत्स्क और अमूर क्षेत्र, ट्रांस-बाइकाल क्षेत्र, बुरातिया, याकुटिया और खाबरोवस्क क्षेत्र को पार करता है।
दरअसल, इस रेल लाइन पर सेवा चालू होने के बाद रूस को अंतरराष्ट्रीय पारगमन परिवहन प्रणाली के लिए एक बुनियादी ढांचा मिला और साइबेरिया तथा सुदूर पूर्व क्षेत्र के आर्थिक विकास की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
वर्तमान में यह विशिष्ट रेलमार्ग पूर्वी दिशा में रेलवे माल ढुलाई को बढ़ाने और रूसी कंपनियों के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से बढ़ते बाजारों तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हालांकि इसके निर्माण के शुरूआती समय में यह परियोजना असंभव लगती थी, क्योंकि साइबेरिया और रूसी सुदूर पूर्व की कठोर, प्रतिकूल जलवायु के साथ-साथ क्षेत्रों की जटिल भूवैज्ञानिक संरचना ने महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश कीं।
बता दें कि सात पर्वत श्रृंखलाओं और 11 प्रमुख नदियों को पार करती इस रेल मार्ग की वहन क्षमता को रूस के राष्ट्रपति ने 173 मिलियन टन तक बढ़ाने का समर्थन किया। दिसंबर 2023 में इसे साल 2032 तक 255 मिलियन टन की वहन क्षमता तक विकसित करने का निर्णय लिया गया।
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