- Sputnik भारत, 1920
रूस की खबरें
रूस की गरमा-गरम खबरें जानें! सबसे रोचक आंतरिक मामलों के बारे में सूचना, रूस से स्पेशल स्टोरीस और रूसी विशेषज्ञों की प्रमुख वैश्विक मामलों पर मान्यता प्राप्त करें। रूसियों द्वारा जानें रूस का सच!

साइबेरिया और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाली रूसी रेलवे: सदी की परियोजना और विकास परिदृश्य

© Sputnik / Khamzin / मीडियाबैंक पर जाएंNext Stop, Wonder: Most Astonishing Train Routes of the World
Next Stop, Wonder: Most Astonishing Train Routes of the World - Sputnik भारत, 1920, 23.04.2024
सब्सक्राइब करें
साइबेरिया और सुदूर पूर्वी रूस को जोड़ने के लिए सोवियत संघ की सरकार ने 8 जुलाई 1974 को बैकाल-अमूर मेनलाइन (बीएएम) के निर्माण का संकल्प किया। इस साल रूस इस घटनाक्रम की 50वीं वर्षगांठ बना रहा है।
इस दुर्गम रेल मार्ग का निर्माण अत्यंत कठिन जलवायु परिस्थितियों में किया गया था जो पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों और पर्माफ्रॉस्ट क्षेत्रों से होकर गुजरती है।
बीएएम पूर्वी रेलवे नेटवर्क का हिस्सा है और प्रशांत महासागर का सबसे छोटा मार्ग है जो ट्रांस-साइबेरियन के उत्तर में और कुछ हिस्सों में इसके समानांतर चलती है। यह ताइशेट स्टेशन से शुरू होता है, इरकुत्स्क और अमूर क्षेत्र, ट्रांस-बाइकाल क्षेत्र, बुरातिया, याकुटिया और खाबरोवस्क क्षेत्र को पार करता है।
दरअसल, इस रेल लाइन पर सेवा चालू होने के बाद रूस को अंतरराष्ट्रीय पारगमन परिवहन प्रणाली के लिए एक बुनियादी ढांचा मिला और साइबेरिया तथा सुदूर पूर्व क्षेत्र के आर्थिक विकास की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
वर्तमान में यह विशिष्ट रेलमार्ग पूर्वी दिशा में रेलवे माल ढुलाई को बढ़ाने और रूसी कंपनियों के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से बढ़ते बाजारों तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हालांकि इसके निर्माण के शुरूआती समय में यह परियोजना असंभव लगती थी, क्योंकि साइबेरिया और रूसी सुदूर पूर्व की कठोर, प्रतिकूल जलवायु के साथ-साथ क्षेत्रों की जटिल भूवैज्ञानिक संरचना ने महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश कीं।

4,287 किमी लंबे इस रेलवे के निर्माण में सोवियत संघ के विभिन्न गणराज्यों से करीब 2 मिलियन से अधिक लोगों ने भाग लिया। सितंबर 1984 में बलबुख्ता जंक्शन पर अंतिम लिंक बिछाए गए, जिससे मार्ग पर यातायात का माध्यम संभव हो गया।

बता दें कि सात पर्वत श्रृंखलाओं और 11 प्रमुख नदियों को पार करती इस रेल मार्ग की वहन क्षमता को रूस के राष्ट्रपति ने 173 मिलियन टन तक बढ़ाने का समर्थन किया। दिसंबर 2023 में इसे साल 2032 तक 255 मिलियन टन की वहन क्षमता तक विकसित करने का निर्णय लिया गया।
Интерьер главного буддийского монастыря Тувы Тубтен Шедруб Линг  - Sputnik भारत, 1920, 28.04.2023
रूस की खबरें
रूस के साइबेरिया में खुला सबसे बड़ा बौद्ध मठ
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала