भारत और कनाडा के बीच महीनों से चल रहा राजनयिक तनाव एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कनाडा के मॉन्ट्रियल में व्यापारिक नेताओं की एक सभा में कहा कि कनाडा से शुरू होने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे भारत के लिए खतरे की रेखा हैं।
उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कहा, "मेरी चिंता कनाडा की भूमि से उत्पन्न होने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों को लेकर है। ये खतरे बड़े पैमाने पर कनाडाई वर्गों से उत्पन्न हो रहे हैं। दोनों पक्ष मतभेदों को सुलझाने में लगे हुए हैं। हम किसी भी दिन बैठकर बातचीत करने के लिए तैयार हैं और हम इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।"
कनाडा के मॉन्ट्रियल में एक बातचीत के दौरान वर्मा ने कहा कि जब हम दो देशों को द्विपक्षीय संबंधों में भागीदार, रणनीतिक साझेदार या मित्र कहते हैं, तो हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझेंगे, एक-दूसरे की सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करेंगे। लेकिन दुर्भाग्य से, कुछ मुद्दे रहे हैं और यह कोई नई बात नहीं है। ये दशकों पुराने मुद्दे हैं जो फिर से उभर आए हैं।
साफतौर पर भारत के उच्चायुक्त वर्मा का इशारा कनाडा में लंबे समय से भारत के खिलाफ चल रहे खालिस्तान आंदोलन को लेकर था जो खुले तौर पर एक अलग खालिस्तान राज्य की मांग करता है।
भारत और कनाडा के बीच कथित खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या विवाद का केंद्र रही है। इसे लेकर कनाडा ने इस हत्या में भारत सरकार के शामिल होने का आरोप लगाया था जिसे भारत ने बेबुनियाद कहकर खारिज कर दिया था। कनाडाई पुलिस वर्तमान में इन संभावित संबंधों की जांच कर रही है, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध और तनावपूर्ण हो गए हैं।
इस सप्ताह की शुरुआत में कनाडा के माल्टन में नगर कीर्तन परेड में खालिस्तान समर्थक जुलूस भी देखा गया। इसके साथ-साथ भारत ने पिछले हफ्ते टोरंटो में बैसाखी के अवसर पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की उपस्थिति में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थक नारे लगाए जाने पर कनाडा के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया था।