नेपाल के राष्ट्रपति के आर्थिक सलाहकार चिरंजीबी नेपाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे एक हफ्ते पहले उन्होंने नेपाली सरकार द्वारा भारत के क्षेत्रों के साथ देश के नए मानचित्र को दर्शाने वाले मुद्रा नोट जारी करने पर सरकार के फैसले की आलोचना की थी। इस इस्तीफे को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
चिरंजीबी नेपाल नेपाल के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर भी रहे हैं, उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को मानचित्र में शामिल करने का कदम "नासमझी" है। हालांकि, उनके इस बयान की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी के केपी शर्मा ओली ने भी आलोचना की थी।
इसके अलावा भारत में पूर्व राजदूत नीलांबर आचार्य, नेपाल के भ्रष्टाचार विरोधी निकाय के पूर्व प्रमुख सूर्यनाथ उपाध्याय और पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के सलाहकार सुशील पयाकुरेल सहित कई लोग चिरंजीबी नेपाल को पद से हटाने की माँग कर चुके थे।
मीडिया ने नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय के हवाले से बताया कि उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
4 मई को नोटों पर मानचित्र लगाने के सरकार के फैसले के सार्वजनिक होने के तुरंत बाद चिरंजीबी नेपाल ने कहा था कि वह राष्ट्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर के रूप में इस कदम का विरोध करते हैं, न कि राष्ट्रपति के सलाहकार के रूप में।