पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर कहा है कि उनके पास इनके इस्तेमाल को लेकर किसी भी तरह की नो फर्स्ट यूज (NFU) नीति नहीं है।
नेशनल कमांड अथॉरिटी के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) खालिद अहमद किदवई ने परमाणु हथियारों के संबंध में नो फर्स्ट यूज नीति के प्रति प्रतिबद्धता न जताने के पाकिस्तान के रुख को रेखांकित किया।
"पाकिस्तान के पास नो फर्स्ट यूज पॉलिसी नहीं है, और मैं जोर देकर इसे दोहराता हूं। पाकिस्तान के पास नो फर्स्ट यूज पॉलिसी नहीं है," स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन (SPD) के महानिदेशक के रूप में कार्य कर चुके किदवई ने कहा।
इसके अलावा जनरल किदवई ने सेमिनार में बोलते हुए देश के परमाणु कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने का भी संकेत दिया।
"उभरती प्रौद्योगिकियों सहित प्रौद्योगिकी में प्रगति पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा गणित में उचित रूप से अपना रास्ता बनाती रहेगी, और इनसे लाभ उठाकर परमाणु कार्यक्रम मजबूत होगा।" उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की पूर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिरोध (FSD) क्षमता, जो आम तौर पर विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध (CMD) के बड़े दर्शन के भीतर रहती है, क्षैतिज रूप से विभिन्न प्रकार के परमाणु हथियारों की एक मजबूत त्रि-सेवा सूची से मिलकर बनी है," उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे बताया कि परमाणु हथियार जमीन पर आर्मी स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (ASFC), समुद्र में नेवल स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (NSFC) और हवा में एयर फोर्स स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (AFSC) के पास हैं। वहीं SPD की शस्त्र नियंत्रण एवं निरस्त्रीकरण मामलों (ACDA) शाखा के महानिदेशक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जहीर काजमी ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के लिए उभरते खतरों और स्थायी खतरों पर प्रकाश डाला।