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मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना सम्मान की बात

राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने में प्रधानमंत्री के साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की। मुइज्जू ने कहा कि उनकी भारत यात्रा दोनों देशों के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों का प्रमाण होगी।
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मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने रविवार को निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है।

बयान में कहा गया है, "मालदीव गणराज्य में भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर ने राष्ट्रपति कार्यालय में शिष्टाचार भेंट के दौरान राष्ट्रपति को निमंत्रण पत्र सौंपा।"

मुइज्जू ने साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना उनके लिए सम्मान की बात होगी और इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत की उनकी यात्रा से परिलक्षित होगा कि द्विपक्षीय संबंध सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं।
संसदीय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए तैयार हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की लगातार तीसरी बार जीत के बाद, राष्ट्रपति मुइज्जू ने प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी थी तथा सहयोग करने तथा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की थी।

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा तथा एनडीए को 2024 के भारतीय आम चुनाव में लगातार तीसरी बार सफलता मिलने पर बधाई। मैं दोनों देशों के लिए साझा समृद्धि और स्थिरता की खोज में हमारे साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने के लिए तत्पर हूं।"

इस संदेश के उत्तर में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति मुइज्जू को धन्यवाद दिया और हिंद महासागर क्षेत्र में एक मूल्यवान साझेदार और पड़ोसी के रूप में मालदीव के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए निकट सहयोग की आशा व्यक्त की।
राष्ट्रपति मुइज्जू की आगामी भारत यात्रा पिछले साल 17 नवंबर को पदभार ग्रहण करने के बाद उनकी पहली यात्रा होगी। अपने शपथग्रहण के कुछ समय बाद ही तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, क्योंकि उन्होंने मालदीव से लगभग 88 भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग की थी। राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू द्वारा निर्धारित 10 मई की समय-सीमा तक इन कर्मियों की जगह भारतीय नागरिकों को रखा गया था।
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