भारत-रूस संबंध
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रूस और भारतीय कंपनियों के मध्य क्रूड रिफाइनिंग व्यापार और बढ़ाने पर हो रही है वार्ता

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने रूस के साथ कच्चे तेल के व्यापार में कटौती करने के पश्चिमी "दबाव" को नजरअंदाज किया है। भारतीय नेतृत्व ने कहा कि रूस से कच्चे तेल की खरीद भारतीय उपभोक्ताओं के हित में है।
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नई दिल्ली में रूसी राजदूतावास द्वारा शनिवार को जारी किए गए बयान के अनुसार, भारत में रूसी व्यापार प्रतिनिधि अलेक्जेंडर रयबास ने इस सप्ताह ग्लोबल रिफाइनिंग एंड पेट्रोकेमिकल्स कांग्रेस (GRPC) में भारतीय तेल रिफाइनिंग कंपनियों के अधिकारियों के साथ बातचीत की।

बयान में कहा गया, "सम्मेलन के दौरान रिफाइनिंग वॉल्यूम बढ़ाने, रिफाइनरी उत्पादों की सूची का विस्तार करने, साथ ही रिफाइनरी परिचालन के कार्बन पदचिह्न को कम करने के मुद्दों पर चर्चा की गई।"

सम्मेलन में भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) जैसे कि गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (GAIL), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HP) और भारत पेट्रोलियम (BP) के अधिकारियों के साथ-साथ नायरा एनर्जी के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, जो कि रूसी कंपनी रोसनेफ्ट और भारत की सबसे बड़ी रिफाइनर निजी स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के मध्य एक संयुक्त उद्यम है।
फरवरी 2022 में यूक्रेन संकट की शुरुआत के बाद से भारतीय रिफाइनर कंपनियों ने रूसी कच्चे तेल की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है। पिछले वर्ष से ही रूसी तेल आयात भारत की कुल आवश्यकताओं का लगभग 30-40 प्रतिशत रहा है, जिससे मास्को नई दिल्ली का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है।
रॉयटर्स के अनुसार, पिछले महीने भारत ने रूसी तेल के लगभग 2.1 लाख बैरल प्रति दिन (bdp) आयात कर लिया, जो भारत की कुल आवश्यकताओं का लगभग 41 प्रतिशत है।

साथ ही, यूरोपीय संघ ने पिछले वर्ष से भारत से रिफाइन्ड उत्पादों के आयात में भारी वृद्धि की है।

मीडिया में केप्लर द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में यूरोपीय संघ के भारतीय रिफाइन्ड उत्पादों के आयात में पिछले वर्ष की तुलना में 115 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई।
यूरोपीय संघ ने दिसंबर 2022 में रूसी तेल के समुद्री परिवहन पर और फरवरी 2023 में तेल उत्पादों के परिवहन पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके परिणस्वरूप डीजल, पेट्रोल और अन्य परिष्कृत उत्पादों की मांग में कमी को पूरा करने के लिए भारत पर निर्भरता बढ़ गई।

कई विशेषज्ञों के अनुसार, उम्मीद है कि 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मास्को के आने वाले दौरे के अंतर्गत भारत-रूस के मध्य ऊर्जा संबंध के बारे में बातचीत भारतीय प्रधानमंत्री और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मध्य की जाएगी।

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