अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में थाई विशेषज्ञ, रामखामेंग विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिसाडा फ्रोम्वैक ने रुसी समाचार एजेंसी के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि रूस और भारत के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों के विस्तार से पश्चिमी प्रतिबंध अप्रभावी हो गए हैं। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के परिणामों पर भी टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, "दोनों नेताओं ने भारत और रूस के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों के विस्तार के मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें व्यापार के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग करने हेतु द्विपक्षीय निपटान प्रणाली का विकास करना भी शामिल है।
क्रिसाडा फ्रोम्वैक ने इस पर ज़ोर दिया कि 2024 में, दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़कर 65 अरब डॉलर हो गया, जिसका मुख्य कारण ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय सहयोग है। इससे पश्चिमी प्रतिबंध अप्रभावी हो जाते हैं।
विशेषज्ञ ने कहा "मुझे लगता है कि यह यात्रा मास्को और दिल्ली के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देगी और रूस को अलग-थलग करने में पश्चिमी देशों की अक्षमता को दर्शाती है।"
फ्रोम्वैक के अनुसर, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि मोदी मास्को के साथ सहयोग को बहुत महत्व देते हैं। रूस लंबे समय से भारत की विदेश और रणनीतिक नीति का केंद्र रहा है। उनके संबंधों की आधारशिला रक्षा, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग है।
उन्होंने कहा "मुझे लगता है कि रूस भारत का सबसे विश्वसनीय मित्र है। इस यात्रा की बदौलत भारत को रूस के साथ बातचीत करने के अधिक अवसर मिलेंगे, जो भारत को हथियारों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।"
8-9 जुलाई को भारत के प्रधानमंत्री ने मास्को का दौरा किया, जिसके दौरान 22वां रूस-भारत शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। दोनों पक्षों ने संयुक्त दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, द्विपक्षीय परियोजनाओं पर चर्चा की और दोनों देशों के बीच विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की। भारतीय प्रधानमंत्री ने क्रेमलिन में रूस के राष्ट्रपति के साथ वार्ता की। मोदी को ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द फर्स्ट-कॉल से भी सम्मानित किया गया।