भारत-रूस संबंध
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रूस के साथ तेल व्यापार को लेकर पश्चिम का भारत पर दबाव अस्वीकार्य: लवरोव

पीएम मोदी ने 8-9 जुलाई को रूस की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन में संघर्ष को सुलझाने सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
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रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने कहा कि पश्चिमी देश भारत पर अपनी विदेश नीति बदलने और नई दिल्ली और मास्को के बीच के तेल व्यापार को लेकर बहुत दबाव डाल रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बिल्कुल अस्वीकार्य है।

अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लवरोव ने कहा वे अच्छी तरह से जानते हैं कि भारत पर बहुत दबाव डाला जा रहा है। हालांकि, भारत उस दबाव को बहुत अच्छी तरह से संभाल रहा है।

लवरोव ने कहा, "हम जानते हैं कि भारत बहुत दबाव में है, अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में राज्यों के व्यवहार के दृष्टिकोण से यह बहुत ही बेशर्मी भरा और बिल्कुल अस्वीकार्य है।"

रूस के शीर्ष रूसी राजनयिक ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के बारे में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की की टिप्पणियों पर भारतीय विदेश मंत्रालय के जवाब को भी याद किया।

लवरोव ने कहा, "यह तथ्य कि पश्चिम चीन और भारत जैसी शक्तियों पर भी दावा करता है, इसका मतलब है, सबसे पहले, संस्कृति की कमी और कूटनीतिक रूप से जुड़ने में असमर्थता। और दूसरा यह राजनीतिक विश्लेषकों की विफलता है, क्योंकि जब दो सबसे बड़ी एशियाई शक्तियों को अधीन करने की बात आती है, तो यह सपने देखने जैसा है। हालांकि, इसमें कोई हानी नहीं है, लेकिन मेरा मतलब है, उन्होंने सभी देशों के प्रति नीति का एक अपमानजनक तरीका चुना।"

ET की रिपोर्ट के मुताबिक ज़ेलेंस्की ने हाल ही में हुई मोदी और पुतिन की वार्ता की आलोचना करते हुए कहा कि यह "शांति प्रयासों के लिए एक विनाशकारी झटका" था, जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में यूक्रेनी राजदूत ओलेक्सेंडर पोलिशचुक को तलब किया था।
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