सहायक प्रोफेसर सोनू सैनी ने कहा, "भारत में लगभग 50 विश्वविद्यालय और संस्थान हैं जहां कोई भी रूसी भाषा सीख सकता है। और हमारे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में 350 छात्र हैं जो स्नातक, परास्नातक और निश्चित रूप से पीएचडी में रूसी भाषा का अध्ययन कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "ऐसे कई समूह हैं जो थिंक टैंक के रूप में काम कर रहे हैं। फिर हमारे पास मेडिकल टूरिज्म है, जो इन दिनों बहुत तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि 15 देशों से लोग आते हैं और वे रूसी भाषा में बात करते हैं। 15 देशों से मरीज आते हैं और निश्चित रूप से ये छोटे-छोटे समूह, केवल सामान्य पर्यटक नहीं हैं। इसलिए जो लोग एक या दो साल के लिए भी रूसी भाषा सीखते हैं, उन्हें भारत में अच्छा काम मिल जाता है और भारत और रूस के बीच विकसित हो रहे संबंधों के अनुसार दिन-प्रतिदिन दृष्टिकोण बदल रहा है।"
श्री सोनू सैनी ने अंत में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की रूस यात्रा ने भी सभी भारतीय लोगों का ध्यान खींचा है। यह वो देश है जिसके साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं। और ये दिन-प्रतिदिन विकसित हो रहे हैं। इसलिए भविष्य में छात्रों या शिक्षार्थियों या रूसी भाषा के विशेषज्ञों की भारी मांग होगी। आज भी यह है, लेकिन भविष्य में यह बढ़ेगी।"