"ज़ेलेंस्की ने अपने पूरे देश को तबाह कर दिया है, अगर देश का हित चाहता है ऐसा नहीं करता। [...] वह एक कठपुतली बन गया है," जनरल कुलकर्णी का कहना है।
"अगर अमेरिका केवल अपने हथियार बेचने की सोच रहा है तो दूसरों को विश्व शांति के बारे में सोचना पड़ेगा। लड़ाई इसलिए इतनी लंबी चल रही है क्योंकि पश्चिमी देश यूक्रेन को लगातार हथियार दे रहे हैं। [...] संघर्ष में जिन संसाधनों का इस्तेमाल हो रहा है उन्हें ग़रीबों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यूक्रेन को अपना अंहकार छोड़ना पड़ेगा और समझना पड़ेगा कि पश्चिम से मिल रहे हथियारों से भी रूस को हराया नहीं जा सकता है," जनरल कुलकर्णी ने कहा।
"अगर ज़पोरोज्ये परमाणु ऊर्जा संयंत्र में कुछ हो गया तो क़ीमत पूरी दुनिया को चुकानी पड़ेगी। शायद ज़ेलेंस्की सरकार को लगता है कि कुर्स्क पर हमले से उनको सौदेबाज़ी के लिए कुछ बेहतर मौके मिल जाए। लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार रूस में किसी विदेशी सेना ने अपने क़दम रखे हैं और यह रूस के लिए बहुत बड़ी बात है," जनरल कुलकर्णी ने कहा।