यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

ज़ेलेंस्की अपना अहंकार छोड़े तभी शांति संभव: विशेषज्ञ

© AP PhotoVolodymyr Zelensky
Volodymyr Zelensky - Sputnik भारत, 1920, 23.08.2024
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वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाप्त होना पूरी दुनिया के लिए अच्छा होगा लेकिन ज़ेलेंस्की से किसी अच्छे निर्णय की आशा कम है। उनके अनुसार, यह समय वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की को अहंकार छोड़ने का है और ज़मीनी हालात समझने का है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के बाद अब यूक्रेन की यात्रा पर हैं। मोदी पहले दोनों देशों से शांति स्थापित करने की अपील कर चुके हैं। इसके साथ भारत सहित वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों ने मध्यस्थता करने और संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मदद की पेशकश की है।
लेकिन क्या यूक्रेन की मौजूदा सरकार शांति प्रस्तावों पर कोई सकारात्मक रूख दिखाएगी?
भारतीय सेना में डायरेक्टर जनरल (इंफेंट्री) के पद पर काम कर चुके अनुभवी सैनिक ले. जनरल संजय कुलकर्णी (सेवानिवृत्त) ने Sputnik India को बताया कि वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से शांति प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मुश्किल है।

"ज़ेलेंस्की ने अपने पूरे देश को तबाह कर दिया है, अगर देश का हित चाहता है ऐसा नहीं करता। [...] वह एक कठपुतली बन गया है," जनरल कुलकर्णी का कहना है।

हालांकि उनका यह भी मानना है कि वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के दिमाग में अच्छी बातें डालने की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए।

"अगर अमेरिका केवल अपने हथियार बेचने की सोच रहा है तो दूसरों को विश्व शांति के बारे में सोचना पड़ेगा। लड़ाई इसलिए इतनी लंबी चल रही है क्योंकि पश्चिमी देश यूक्रेन को लगातार हथियार दे रहे हैं। [...] संघर्ष में जिन संसाधनों का इस्तेमाल हो रहा है उन्हें ग़रीबों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यूक्रेन को अपना अंहकार छोड़ना पड़ेगा और समझना पड़ेगा कि पश्चिम से मिल रहे हथियारों से भी रूस को हराया नहीं जा सकता है," जनरल कुलकर्णी ने कहा।

इसके साथ यूक्रेन के रूस के प्रांत कुर्स्क पर हमलों और ज़पोरोज्ये परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमलों को जनरल कुलकर्णी बेहद चिंताजनक मानते हैं।

"अगर ज़पोरोज्ये परमाणु ऊर्जा संयंत्र में कुछ हो गया तो क़ीमत पूरी दुनिया को चुकानी पड़ेगी। शायद ज़ेलेंस्की सरकार को लगता है कि कुर्स्क पर हमले से उनको सौदेबाज़ी के लिए कुछ बेहतर मौके मिल जाए। लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार रूस में किसी विदेशी सेना ने अपने क़दम रखे हैं और यह रूस के लिए बहुत बड़ी बात है," जनरल कुलकर्णी ने कहा।

जनरल कुलकर्णी के अनुसार, यह समय ज़ेलेंस्की को अहंकार छोड़ने का है और कि अगर यूक्रेनी सरकार को यह बात समझ आ जाए तब शायद यह मामला सुलझ सकता है।
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