भारत-रूस संबंध
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भारत रूस के व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच में भेजेगा उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल

भारत रूस के व्लादिवोस्तोक में 3 से 6 सितंबर तक आयोजित होने वाले पूर्वी आर्थिक मंच (EEF) में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजेगा, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का विस्तार करना है, जो जीवाश्म ईंधन, कोयला और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों सहित प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है।
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भारत सरकार पूर्वी आर्थिक मंच में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए एक कैबिनेट मंत्री को नियुक्त कर सकती है, जो समुद्री परिवहन गलियारों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

जुलाई में मास्को में वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद दोनों पक्ष व्लादिवोस्तोक-चेन्नई पूर्वी समुद्री गलियारे के पूर्ण कार्यान्वयन में तेजी ला रहे हैं और इसे संसाधन समृद्ध आर्कटिक क्षेत्र से जोड़ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि भारत-रूस समुद्री व्यापार के लिए एक संयुक्त जहाज निर्माण परियोजना की भी योजना बना रहे हैं।

वस्तुतः भारत की बंगाल की खाड़ी में एक ट्रांस-शिपमेंट हब बनाने की योजना है। हालांकि व्लादिवोस्तोक-चेन्नई पूर्वी समुद्री गलियारे ने काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन अतिरिक्त व्यापार को संभालने के लिए चेन्नई में अतिरिक्त मूलभूत ढांचे की स्थापना की आवश्यकता है।
वर्ष 2023 में, शिपिंग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने EEF में भारत का प्रतिनिधित्व किया। नई दिल्ली और मास्को ने 2024-2029 के लिए रूसी सुदूर पूर्व में व्यापार, आर्थिक और निवेश क्षेत्रों में भारत-रूस सहयोग के कार्यक्रम के साथ-साथ रूस के आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग सिद्धांतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
दोनों देश उत्तरी समुद्री मार्ग के माध्यम से रूस और भारत के मध्य नौवहन के विकास में सहयोग का समर्थन करते हैं। इस उद्देश्य के लिए, वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने उत्तरी समुद्री मार्ग पर सहयोग के लिए IRIGC-TEC के भीतर एक संयुक्त कार्यकारी निकाय स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की।
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