भारत-रूस संबंध
मॉसको-दिल्ली रिश्तों की दैनिक सूचना। चिरस्थायी संबंधों को गहराई से देखें!

भारत-रूस आपातकालीन प्रबंधन समझौता आपात स्थिति में लोगों की सहायता के लिए महत्वपूर्ण: विशेषज्ञ

भारतीय मंत्री नित्यानंद राय ने देश में आपदा जोखिमों को महत्वपूर्ण रूप से कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आपदा जोखिम न्यूनीकरण संबंधी 10 सूत्री एजेंडे के प्रति भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
Sputnik
भारत और रूस ने विभिन्न प्रकार की आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए 28 अगस्त को एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसे भारतीय-रूसी आयोग की कार्य योजना 2025-2026 का नाम दिया गया।
भारत के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और रूसी संघ के नागरिक सुरक्षा, आपात स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं के परिणामों के उन्मूलन मंत्री अलेक्सांद्र कुरेनकोव ने मास्को में समझौते पर हस्ताक्षर किए।

"यह बैठक भारत और रूस के बीच पिछले समझौतों के क्रियान्वयन हेतु रणनीति तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण है, जैसे कि दिसंबर 2010 में आपातकालीन प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग के लिए अंतर-सरकारी समझौता (IGA) और आपातकालीन स्थितियों के परिणामों की रोकथाम और उन्मूलन में सहयोग के लिए भारत-रूस संयुक्त आयोग की स्थापना के लिए विनियमन (2013)," भारत के गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया।

बयान में आगे कहा गया कि दोनों देशों ने 2025-2026 के दौरान इस योजना को लागू करने पर सहमति जताई है और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं और सीखे गए सबक का आदान-प्रदान जारी रखने का भी फैसला किया। आपातकालीन प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर भारत-रूस संयुक्त आयोग की पहली बैठक 2016 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
भारत और रूस के बीच आपातकालीन प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर हुए समझौते पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रूसी अध्ययन केंद्र में सहायक प्रोफेसर सोनू सैनी ने Sputnik India को बताया कि इसे रूस और भारत के बीच सहयोग में बढ़ाए गए एक और कदम के रूप में देख सकते हैं, और इस समझौते के बाद दोनों देशों द्वारा अंतरिक्ष निगरानी प्रौद्योगिकियों के उपयोग, जोखिम पूर्वानुमान और आपातकालीन प्रतिक्रिया जैसी क्षमताओं में निश्चित रूप से सुधार होगा क्योंकि दोनों देशों के पास विभिन्न स्थितियों में विभिन्न प्रकार के अनुभव हैं।

"यह मानवीय सुरक्षा और आपात स्थितियों में लोगों को बचाने के लिए एक अच्छा और महत्वपूर्ण कदम होगा क्योंकि हमें बाढ़, भूकंप, तूफान और इस तरह की सभी आपातकालीन स्थितियों का सामना करना पड़ता है। और कभी-कभी हमारे विभाग की भविष्यवाणी सटीक नहीं होती है तो ऐसी स्थिति में अगर कोई दूसरा पार्टनर है जिसे तकनीक का अच्छा अनुभव है, और वह मदद करता है तो बेशक ये हमारे लिए फायदेमंद होगा," प्रोफेसर सोनू सैनी ने कहा।

भारत और रूस द्वारा एक दूसरे की मदद पर उन्होंने कहा कि भारत भी ऐसी ही परिस्थितियों में रूस की मदद कर सकता है, तो कुल मिलाकर यह दोनों देशों के संबंधों के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

"रूस के पास इस क्षेत्र में [आग की घटनाओं से बचाव में] अधिक विकसित तकनीक है और जब वे अपने अनुभव साझा करेंगे तो उनकी तकनीक और सहयोगात्मक प्रयासों से बहुत से लोगों की जान बच सकती है। यह दोनों देशों के विशेषज्ञों के लिए एक तरह की बड़ी मदद होगी," प्रोफेसर सोनू सैनी ने बताया।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध है, इसलिए तकनीक साझा करने और अनुभवों को खुले तौर पर साझा करने में कोई समस्या नहीं होगी, और इसके साथ रूस में यह एक इतिहास रहा है कि भारत के साथ इस देश ने बहुत सी तकनीकों के साथ-साथ बहुत सी उन्नत मशीनरी साझा की हैं। इसी तरह भारत ने भी खुले तौर पर आवशकता पड़ने पर रूस की सहायता की है।

"मुझे लगता है कि यह सहयोग आगे भी जारी रहेगा। क्योंकि अंततः हम कह सकते हैं कि हम मानव जाति के लिए काम कर रहे हैं और दोनों देशों की राय है कि ऐसी आपातकालीन स्थितियों में जितना संभव हो सके, मानव जाति को बचाया जाए," प्रोफेसर सोनू सैनी ने कहा।

भारत-रूस संबंध
भारत और रूस अंतरिक्ष निगरानी डेटा का आदान-प्रदान करने पर हुए सहमत: रूसी आपातकालीन मंत्रालय
विचार-विमर्श करें