नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि अगर कोई रूस के साथ व्यापार को देखेगा, जो पांच गुना बढ़ गया है, तो "भारत और रूस के बीच आर्थिक पूरकता" है और भारत को "उस पूरकता के लाभों को पाने से नहीं डरना चाहिए।"
"हमें भारत में इसे समझने, आत्मसात करने और इसका लाभ उठाने की जरूरत है, न कि हमारे निर्णयों को एक बड़े आख्यान से प्रभावित होने देना चाहिए, जो हमारी लाइन नहीं है। एक यूरेशियाई संतुलन है जिसके प्रति हमें संवेदनशील होना चाहिए, जो हमारे लिए एक प्रमुख रणनीतिक आवश्यकता है," विदेश मंत्री ने कहा।
गौरतलब है कि भारत और रूस ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने पर सहमति जताई है, जिसमें राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग भी शामिल है।
बता दें कि नई दिल्ली रूस के साथ निवेश संधि पर प्रगति करने के साथ-साथ मास्को के नेतृत्व वाले यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। दोनों देश संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।