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Sputnik के ब्रिक्स क्षमता पर गोलमेज चर्चा में वक्ताओं ने वैश्विक संस्थाओं में सुधार की वकालत की

रूसी अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी Sputnik ने आज ब्रिक्स के दो मूल संस्थापक सदस्यों रूस और भारत के बीच भविष्य के सहयोग की संभावनाओं पर एक गोलमेज चर्चा की मेजबानी की।
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भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने नई दिल्ली में आयोजित Sputnik India के ब्रिक्स क्षमता पर गोलमेज चर्चा में कहा कि कज़ान शिखर सम्मेलन इतिहास के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर हुआ, जिसमें नई शक्तियों को वैश्विक मामलों में अधिक सशक्त आवाज़ मिली।
उन्होंने आगे कहा कि ब्रिक्स का स्वरूप प्रत्येक वर्ष अधिक मजबूत होती जा रही है। ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन के परिणाम इस बात का एक और सबूत हैं कि ब्रिक्स देशों के बीच समन्वय हमेशा की तरह मजबूत है।

बहुध्रुवीय विश्व का निर्माण

Sputnik के मूल मीडिया समूह Rossiya Segodnya के महानिदेशक दिमित्री किसेलेव ने कहा कि "कज़ान शिखर सम्मेलन दो समानांतर प्रक्रियाओं का परिणाम है जो 21वीं सदी के प्रारंभ में शुरू हुई थीं, जब व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने और रूस ने बहुध्रुवीय विश्व का निर्माण आरंभ किया।"

किसेलेव ने कहा, "ब्रिक्स देशों को एक साथ क्या लाता है? शांति, पारंपरिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता। रूस ग्लोबल साउथ को व्यवहार्य अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने में सक्षम बनाता है, जबकि अमेरिका अन्य देशों से उसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा छत्रछाया के लिए भुगतान करने को कहता है, रूस ने कभी ऐसा नहीं कहा।"

हथियार के रूप में प्रतिबंध का इस्तेमाल

भारत के पूर्व विदेश सचिव राजदूत कंवल सिब्बल Sputnik India के ब्रिक्स क्षमता पर गोलमेज चर्चा में कहा कि प्रतिबंध एक ऐसा हथियार है जिसका इस्तेमाल अमेरिका भारत समेत सभी के खिलाफ कर रहा है।
राजदूत कंवल सिब्बल ने कहा, "उन्होंने (अमेरिका) रूस के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए 19 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, यह उनके अपने कानून का उल्लंघन है (वे इसे केवल अमेरिकी नागरिकों पर ही लागू कर सकते हैं)।"

उन्होंने साथ ही कहा, "ग्लोबल साउथ के देश पश्चिमी आधिपत्य के विरुद्ध रणनीति बनाना चाहते हैं। ब्रिक्स उन्हें एक ऐसा मंच प्रदान करता है जिससे वे विश्व को संचालित करने के लिए एक वैकल्पिक मंच तैयार कर सकें तथा वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए प्रयास कर सकें।"

भारत हथियारों का खात्मा चाहता है

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने जोर देकर कहा कि आजकल देश तकनीक, भुगतान प्रणाली और प्रतिबंधों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि भारत चाहता है कि हथियारों का खात्मा हो।

महाजन ने कहा, "विश्व के बारे में भारत का दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है। हमारा मानना ​​है कि आधिपत्य नहीं बल्कि सहयोग होना चाहिए, हमें इस दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाना है।"

मानवता के लिए लड़ाई का नेतृत्व

रूसी दार्शनिक और जियोपॉलिटिकल स्कूल और यूरेशियन मूवमेंट के संस्थापक प्रो. अलेक्जेंडर डुगिन ने स्पष्ट किया कि "रूस अब यूक्रेन के विरुद्ध नहीं लड़ रहा है, वह एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था के विरुद्ध और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के पक्ष में लड़ रहा है।"

उन्होंने कहा, "पुतिन सम्पूर्ण मानवता के लिए लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं, यही रूस का मिशन है: एक न्यायपूर्ण, लोकतांत्रिक, समृद्ध और शांतिपूर्ण बहुध्रुवीय विश्व का वाहक बनना।"

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