पेसकोव ने रूसी पत्रकार पावेल ज़रुबिन से कहा, "उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन की चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करने का फैसला किया। इस वजह से यह स्थिति पैदा हुई। निर्णायक कदम उठाने और ऐसे कठोर बयानों की ज़रूरत थी।"
उन्होंने याद दिलाया कि कुछ महीने पहले सेंट पीटर्सबर्ग में, रूसी राष्ट्रपति ने "बिल्कुल स्पष्ट और तर्कसंगत संकेत" भेजा था और "उम्मीद थी कि अन्य देश इसे सुनेंगे।"
इससे पहले राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि नाटो देश अब न केवल कीव द्वारा पश्चिमी लंबी दूरी के हथियारों के संभावित उपयोग पर चर्चा कर रहे हैं, वास्तव में, वे यह निर्णय कर रहे हैं कि उनको यूक्रेनी संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल होना है या नहीं। उन्होंने कहा, यूक्रेनी संघर्ष में पश्चिमी देशों की सीधी भागीदारी से इसका सार बदल जाएगा और रूस को इस तरह से पैदा हुए खतरों के आधार पर निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ेगा।
उस समय दिमित्री पेसकोव ने कहा था कि रूस पर पश्चिमी हथियारों के हमलों के परिणामों के बारे में राष्ट्रपति का संदेश बेहद स्पष्ट था और कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह संदेश अपने इच्छित प्राप्तकर्ताओं तक पहुंच गया है।