भारत-रूस संबंध
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भारत की आर्थिक वृद्धि से रूस जैसे संसाधन शक्तियों के साथ संबंध मजबूत होंगे: जयशंकर

सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी के दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान के विजिटिंग प्रोफेसर सी. राजा मोहन के साथ बातचीत में जयशंकर ने नई दिल्ली में एक नई द्विमासिक पत्रिका के विमोचन के दौरान अपने विचार साझा कर रहे थे।
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भारत और रूस के संबंधों पर बात करते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ऊर्जा संसाधन भारत-रूस संबंधों की आधारशिला बनेंगे, क्योंकि आने वाले दशकों में नई दिल्ली की 7-8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करने के लिए इस तरह के विकास की आवश्यकता होगी।

जयशंकर ने कहा, "भारत जैसे देश के विकास के इस चरण में, जरा सोचिए कि अगर आज आपकी अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर है, और हम कह रहे हैं कि ठीक है, हमारे आगे आने वाले दशकों में आपकी वृद्धि दर 7-8 प्रतिशत है, तो दुनिया में हमारे महत्वपूर्ण साझेदार कौन होंगे? मुझे लगता है कि काफी हद तक दुनिया की प्रमुख संसाधन शक्तियां। भारत की आर्थिक प्रगति रूस या इंडोनेशिया, या ऑस्ट्रेलिया, या ब्राजील या यहां तक कि कनाडा जैसे देशों पर एक निश्चित प्रीमियम रखेगी।"

जयशंकर ने स्पष्ट करते हुए बताया कि इतिहास को देखते हुए रूस और भारत के बीच एक “अद्वितीय” संबंध मौजूद है और ये भविष्य में ऊर्जा संसाधन दोनों देशों के बीच संबंधों को गहरा करने की कुंजी साबित होंगे जो भारत के लिए आर्थिक कूटनीति के महत्व में परिवर्तन का संकेत देता है।

जयशंकर ने कहा, "यदि आप उदाहरण के लिए व्यापक विदेश नीति प्रतिष्ठान को लें, न केवल सरकार, बल्कि देश में बड़ी सोच, तो कई कारणों से इसमें एक तीव्र पश्चिम विरोधी भावना थी। वास्तविकता को देखें, आपके प्रमुख व्यापारिक साझेदार कौन हैं, आपके प्रमुख प्रौद्योगिकी साझेदार कौन हैं, शिक्षा के लिए बहुत से लोग कहां जाते हैं। आपका अधिकांश निवेश कहां से आता है? ये सब एक दिशा की ओर इशारा करते हैं और कभी-कभी विदेश नीति एक अलग दिशा की ओर इशारा करती है।"

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