भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 19वें नानी पालखीवाला स्मृति व्याख्यान में कहा कि यूरेशियाई भूभाग में एक प्रमुख शक्ति के रूप में रूस लंबे समय से भारत की विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
विदेश मंत्री ने कहा, "1945 के बाद से दुनिया ने जितने भी उतार-चढ़ाव देखे हैं, उसके बावजूद यह वास्तव में एक ऐसा रिश्ता है जो काफी हद तक स्थिर रहा है। दशकों से रूस भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिकल्पना में एक प्रमुख स्थान रखता है।"
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि अब दोनों देशों के संबंधों में नई संभावनाएं उभर रही हैं। विदेश मंत्री के अनुसार इसका कारण यह है कि वर्तमान में रूस अपनी विदेश नीति में एशिया को अधिक महत्व दे रहा है।
जयशंकर ने कहा, "वर्तमान में, जब रूस अपना ध्यान एशिया की ओर केन्द्रित कर रहा है, तो वास्तव में एक और तर्क उभर कर सामने आ रहा है।"
मंत्री ने दावा किया कि इस गहरे सहयोग से पूरी दुनिया को लाभ होगा क्योंकि इससे वैश्विक आर्थिक स्थिरता आएगी।
जयशंकर ने कहा, "भारत और रूस के बीच गहरे आर्थिक सहयोग के परिणामस्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी। सहयोग की कनेक्टिविटी क्षमताएं भी बहुत आशाजनक हैं।"