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AI तकनीक की वैश्विक जंग: भारत की तैयारी और चुनौतियां

भारत धीरे धीरे AI मॉडल को विकसित करने की ओर आगे बढ़ रहा है। Sputnik इंडिया ने भारतीय एक्सपर्ट से जानने का प्रयास किया कि भारत अमेरिका और चीन की तर्ज पर अपना AI मॉडल विकसित करने में कितना सक्षम है।
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चीनी स्टार्ट-अप डीपसीक और चीनी टेक दिग्गज अलीबाबा ने ओपनएआई के GPT-4 से सामना करने के लिए AI मॉडल जारी करके तकनीकी दुनिया में तहलका मचा दिया है, यह मॉडल अमेरिकी तकनीकी दिग्गजों द्वारा विकसित AI को टक्कर दे सकते है।
चीन के हांग्जो स्थित कंपनी ने डीपसीक-आर1 जारी किया जिसे दुनिया भर के लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। इसके अतरिक्त चीन के जानकारों की मानें तो उनकी यह तकनीक शीघ्र ही AI की दुनिया में सबसे प्रमुख सिद्ध होगी।
गुरुवार को भारतीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत सरकार ने 10,370 करोड़ रुपये के इंडियाएआई मिशन के हिस्से के रूप में अपना स्वयं का एक घरेलू बड़ा भाषा मॉडल बनाने का निर्णय किया है, जिसके लिए सरकार ने 10 कंपनियों का भी चयन किया है जो 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) की आपूर्ति करेंगी।

वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा, "पिछले 1.5 वर्षों में हमारी टीमें स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों आदि के साथ मिलकर काम कर रही हैं। यह मॉडल भारतीय संदर्भ, भाषाओं, संस्कृति का विशेष ध्यान रखेगा और पक्षपात रहित होगा। सरकार आधारभूत मॉडल बनाने के लिए कम से कम छह डेवलपर्स के संपर्क में है, जिसमें 4-8 महीने लग सकते हैं। अगले कुछ महीनों में हमारे पास विश्व स्तरीय आधारभूत मॉडल होगा।"

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वहीं मंत्री ने चीनी स्टार्टअप डीपसीक की प्रशंसा करते हुए कहा कि कुछ लोग सरकार द्वारा इंडियाएआई मिशन में किए गए निवेश की राशि पर प्रश्न उठाते हैं। आपने देखा है कि डीपसीक ने क्या किया है? 5.5 मिलियन डॉलर और एक बहुत ही शक्तिशाली मॉडल। क्योंकि, कुशल बुद्धिमत्ता का प्रयोग किया गया है।
डीपसीक, अलीबाबा और माइक्रोसॉफ्ट द्वारा हाल ही में विकसित किए गए AI मॉडल द्वारा इस प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने पर भारत में AI और साइबर सुरक्षा पर जानकारी रखने वाले डॉ पवन दुग्गल कहते हैं कि चीन में AI के नए विकास ने इस उद्योग की वर्तमान स्थिति को पूरी तरह परिवर्तित कर दिया है। अब तक, हमारे पास मात्र पश्चिमी देशों के AI सहायक और एजेंट थे, जैसे Microsoft, OpenAI और Google। लेकिन अब, DeepSeek और Alibaba के नेतृत्व में चीन से नए AI मॉडलों का आगमन हुआ है, जिससे यह उद्योग एक नए ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रहा है।

डॉ पवन दुग्गल ने बताया, "ये नए AI मॉडल न केवल अधिक किफायती और प्रभावी हैं, बल्कि वे अधिक कुशल भी हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे ओपन-सोर्स हैं, जिससे वैश्विक ओपन-सोर्स समुदाय को सशक्त बनाने में सहायता मिल रही है। इस कारण, विभिन्न राष्ट्र अब इन मॉडलों को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, जिससे AI विकास के दो स्पष्ट ब्लॉक उभरकर सामने आएंगे: एक पश्चिमी दुनिया और दूसरा चीन। दोनों के मध्य प्रतिस्पर्धा अंततः उपभोक्ताओं के लिए लाभप्रद सिद्ध होगी, क्योंकि उन्हें सस्ते, तेज़ और अधिक उन्नत AI मॉडल उपलब्ध होंगे।"

आगे उन्होंने इन नए AI मॉडल के विकसित करने पर कहा कि सरकारों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन सकती है। राज्य और गैर-राज्य अभिनेता अब इन AI एजेंटों और प्लेटफार्मों का उपयोग अन्य देशों की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने के लिए कर सकते हैं।
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डॉ दुग्गल ने चेतावनी देते हुए कहा, "इनका उपयोग उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने के लिए भी किया जा सकता है। यह एक अत्यधिक संवेदनशील समय है, और यह स्पष्ट है कि AI की प्रगति लगातार जारी रहेगी। दुनिया को यह समझना होगा कि वह पहले से ही एक दौड़ते हुए बाघ की सवारी कर रही है और अब इस बाघ से उतरने का कोई विकल्प नहीं है।"
इस मॉडल को विकसित करने पर अब तक देश में हुई प्रगति को लेकर AI विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है और अगले कुछ महीनों में अपना आधारभूत AI मॉडल विकसित करने की योजना बना रहा है।

डॉ पवन दुग्गल ने बताया, "अब तक, भारत पश्चिमी AI मॉडल पर निर्भर था, लेकिन यदि उसे अपनी संप्रभुता और सुरक्षा बनाए रखनी है, तो उसे अपने स्वयं के मॉडल विकसित करने होंगे। ये मॉडल सुरक्षित, मजबूत और लचीले होने चाहिए और विशेष रूप से भारतीय डेटा पर केंद्रित होने चाहिए। इसके अतिरिक्त, भारत को अन्य देशों के साथ सहयोग करना चाहिए ताकि वह उनके अनुभवों से सीख सके और अपने लिए एक अनुकूलित AI मॉडल निर्मित कर सके।"

दुग्गल इस दौड़ में भारत की भूमिका पर कहते हैं कि इस परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए भारत को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, जिसमें भारत को अपनी AI कंपनियों, स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं को आवश्यक संसाधन और समर्थन प्रदान करने चाहिए जिससे वे नवीन AI मॉडल विकसित कर सकें।
डॉ पवन ने भारत में AI के विकास पर कहा, "AI का दुरुपयोग पहले ही साइबर अपराध और सुरक्षा उल्लंघनों के रूप में सामने आ चुका है। इसलिए, भारत को समर्पित AI कानूनों को विकसित करना होगा, ताकि उचित नियामक ढांचा तैयार किया जा सके। भारतीय AI इकोसिस्टम को साइबर हमलों से बचाने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय अपनाने की आवश्यकता है, जिससे देश की संप्रभुता और डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।"
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया अभूतपूर्व गति से परिवर्तित हो रही है, और जितनी शीघ्र गति से भारत इस परिवर्तन को अपनाएगा और वैश्विक भागीदारों के साथ सहयोग करेगा, उतना ही वह AI क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएगा और भारत का AI विकास मॉडल वैश्विक AI नीति और प्रगति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

दुग्गल अंत में कहते हैं, "भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है। इसलिए, इसके AI बाजार और उपयोगकर्ता इस उद्योग की दिशा निर्धारित करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। भारत का लक्ष्य केवल एक तकनीकी शक्ति बनना नहीं, बल्कि एक ऐसा AI पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना होना चाहिए जो समावेशी, सुरक्षित और वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करने वाला हो।"

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