ब्रिक्स देशों ने वैश्विक मुद्रा प्रणाली को चुनौती दी है और वैश्विक व्यवस्था में बदलाव पहले ही शुरू हो चुका है। यह टिप्पणी Sputnik को दिए एक इंटरव्यू में फ्रांसीसी पार्टी ग्वाडेलूप मुक्ति जन संघ (UPLG) के नेता ज़ान-ज़ाकोब बिसेप ने दी।
उन्होंने कहा, "यह बदलाव अपनी गति से हो रहा है और पहले से ही इसका प्रभाव दिखने लगा है। जैसे पहले बड़े साम्राज्य धीरे-धीरे ढहते थे, वैसे ही आज वैश्विक व्यवस्था में बदलाव हो रहा है। ब्रिक्स देश अब डॉलर की बादशाहत को चुनौती दे रहे हैं और नई आर्थिक प्रणाली को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। यह प्रक्रिया समय अवश्य ले सकती है, लेकिन इसे नकारा नहीं जा सकता।"
बिसेप ने साथ ही कहा कि दुनिया में शक्ति का संतुलन बदल रहा है और अब यह पश्चिमी देशों से हटकर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की ओर बढ़ रहा है, जिनमें रूस, भारत और चीन समाविष्ट हैं।
उन्होंने कहा, "यह सब पहले ही तेजी से हो रहा है और हम इसे देख रहे हैं। क्यूबा अब ब्रिक्स से जुड़ रहा है। यह बदलाव जरूर आएगा, और वैश्विक व्यवस्था में न केवल बदलाव होना चाहिए, बल्कि वह होगा भी।"
ब्रिक्स की स्थापना 2006 में रूस, चीन, भारत और ब्राज़ील ने की थी। बाद में 2011 में दक्षिणी अफ़्रीका भी इस संगठन में सम्मिलित हो गया। पिछले वर्ष मिस्र, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और एथियोपिया भी ब्रिक्स में सम्मिलित हो गए। इस साल 2025 में ब्राजील ब्रिक्स की बैठक की अध्यक्षता करेगा।