पिछले चार सालों में दुनिया में हथियारों के कारोबार के बारे में SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि यूक्रेन ने पिछले चार सालों कुल हथियारों के आयात का 8.8 प्रतिशत खरीदा। यह आयात 2015-2019 में हुए हथियारों का आयात का 100 गुना है।
दिलचस्प यह आंकड़ा भी है कि खुद यूरोप के देशों का अमेरिकी हथियारों का आयात भी तेज़ी से बढ़ा है। यूरोप ने 2020-2024 में दुनिया के कुल हथियारों के आयात का 28 प्रतिशत किया जबकि 2015-2019 के बीच यह आंकड़ा 11 प्रतिशत था। इसमें से आधे हथियार केवल अमेरिका से खरीदे गए यानी यूरोप अभी भी हथियारों के लिए अमेरिका पर ही निर्भर है।
अमेरिका की नई सरकार की यूक्रेन के सैनिक सहायता को निलंबित करने की नीति के बाद यूरोप ने यूक्रेन को सहायता देने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि आने वाले दिनों में यू्क्रेन को मिलने वाले हथियारों के यूरोप होकर जाने की संभावना है।
दूसरी ओर रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की भारत की कोशिश का असर दिखने लगा है। भारत लंबे अरसे से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक रहा है लेकिन अब उसके आयात में कमी आने लगी है। 2015-2019 में भारत का हथियारों का आयात कुल व्यापार का 9.8 प्रतिशत था कि इस बार यह 8.3 प्रतिशत है। भारत ने हथियारों के डिज़ाइन और उत्पादन की अपनी क्षमता को तेज़ी से बढ़ाया है। 2023-24 में भारत के रक्षा उत्पादन में 17.25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।