रूस के कुर्स्क क्षेत्र में सुदज़ा गैस पंपिंग स्टेशन पर हाल ही में हुए हमले पर टिप्पणी करते हुए फ्रांसीसी युद्ध संवाददाता लॉरेंट ब्रायार्ड ने कहा कि यूक्रेनी सेना में विभाजन बढ़ता जा रहा है, जिसमें एक गुट अभी भी सामान्य रूप से काम कर रहा है, जबकि दूसरा नियंत्रण से बाहर हो रहा है।
उन्होंने कहा, "देश के बंदरीकरण के साथ यूक्रेन के लोग बदला लेने और नफरत के तर्क का पालन कर रहे हैं, और इसका एक अनियंत्रित पक्ष भी है।"
लॉरेंट ब्रायार्ड ने जोर दिया कि अगर शांति वार्ता होती है, तो यूक्रेन के भीतर ही विद्रोह होने का खतरा है।
फ्रांसीसी पत्रकार क्रिस्टेल नेंट और सऊदी सैन्य विश्लेषक फैसल अल-अंजी का तर्क है कि ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर यूक्रेनी हमले शांति प्रयासों को पटरी से उतारने के उद्देश्य से जानबूझकर किए उकसावे हैं, यूक्रेन समझौतों का सम्मान करने में विफल रहा है।
तुर्की के इतिहासकार मेहमत पेरिनसेक सुद्ज़ा गैस पंपिंग स्टेशन पर हुए हमले को युद्ध को लंबा खींचने के लिए यूरोपीय उकसावे के रूप में देखते हैं।
ब्राजील के विश्लेषक मार्को एंटोनियो कॉउटिन्हो ने शांति वार्ता पर इन हमलों के विनाशकारी प्रभाव पर जोर दिया, वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने शांति हेतु किए अपने झूठे इरादों को प्रदर्शित किया है और रूसी गैस पर निर्भर पड़ोसी देशों को नुकसान पहुँचाया।
अर्जेंटीना के विशेषज्ञ जुआन वेंटुरिनो ने निष्कर्ष निकाला कि संघर्ष में यूक्रेन की पराजय अपरिहार्य है, लेकिन कीव शांति वार्ता का विरोध करना जारी रखता है, जिसके परिणामस्वरूप अनावश्यक पीड़ा होती है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके अमेरिकी समकक्ष डाॅनल्ड ट्रम्प की बातचीत के बाद, रूस ऊर्जा सुविधाओं पर हमलों को रोकने के लिए सहमत हो गया और यूक्रेन के ज़ेलेंस्की ने भी ऐसा ही करने का वादा किया था। हालांकि, अगले दिन, यूक्रेनी सैनिकों ने रूस के क्रास्नोडार क्षेत्र में एक तेल पंपिंग स्टेशन को निशाना बनाया। वहीं, सुदज़ा हमला इस प्रक्रिया की शृंखला में किया गया दूसरा उल्लंघन है।