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हिंद महासागर में नौसैनिक सहयोग का साझा अभ्यास शुरू, राजनाथ सिंह ने IOS सागर को दिखाई हरी झंडी

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कर्नाटक के कारवार बंदरगाह से हिंद महासागर पोत 'सागर' (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के रूप में आईएनएस 'सुनयना' को हरी झंडी दिखाई, जिस पर 44 कर्मी सवार हैं।
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हिंद महासागर क्षेत्र के कोमोरोस, केन्या, मैडागास्कर, मालदीव्स, मॉरिशस, मोज़ांबिक, सेशेल्स, तंज़ानिया और श्रीलंका के नौसैनिक साथ मिलकर नौवहन सुरक्षा और चौकसी का अभ्यास करेंगे। इस अवसर पर रक्षामंत्री ने कहा कि यह अभियान केवल हमारी ही नहीं इस क्षेत्र के सभी देशों के अधिकारों और कर्तव्यों की तरफ ध्यान खींचता है।

उन्होंने कहा, "हमारी नौसेना यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी राष्ट्र आर्थिक ताकत या सैन्य शक्ति के आधार पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किसी दूसरे देश का दमन न करे या उसकी सामरिक स्वायत्तता को खतरे में न डाले।"

रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना केवल भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी पोतों को सुरक्षा देती है जिससे मुक्त नौवहन, समुद्री डकैती से सुरक्षा और पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि का लक्ष्य प्राप्त होता है।
5 अप्रैल से 8 मई तक चलने वाले इस अभ्यास के लिए पहले मित्र देशों के नौसैनिकों को कोच्चि में भारतीय नौसेना के ट्रेनिंग स्कूल और बाद में आईएनएस सुनयना में प्रशिक्षण दिया गया है। इन सभी नौसैनिकों को समुद्र में अलग-अलग के काम करने का अभ्यास कराया गया है।
आईओएस 'सागर' एक महीने से ज्यादा समय तक हिंद महासागर में तैनात रहेगा। इस दौरान यह युद्धपोत दार-एस-सलाम, नकाला, पोर्ट लुइस, पोर्ट विक्टोरिया, माले बंदरगाहों पर जाएगा। साथ ही तंज़ानिया, मोजांबिक और मॉरिशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र में साझा निगरानी का काम करेगा।
आईओएस 'सागर' दक्षिण हिंद महासागर क्षेत्र की नौसैनिक शक्तियों को भारतीय युद्धपोत में साथ लाने का एक अनूठा प्रयास है। इससे मित्र देशों की नौसेनाओं को समुद्री सुरक्षा में साझेदारी का एक अभूतपूर्व अनुभव प्राप्त होगा। इस साझा अभ्यास में नौसेनिक अग्नि शमन, नुकसान से बचाव, जहाज़ पर चढ़कर तलाशी लेने, ब्रिज़ पर कार्रवाई, इंजन रूम की व्यवस्था जैसे हुनर सीखेंगे जिससे साथ काम करने में महारत हासिल होगी।
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