एनसीएस के अनुसार, भूकंप 10 किलोमीटर की उथली गहराई पर आया, जिससे इसके बाद के झटकों की संभावना बनी हुई है।
दरअसल उथले भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि पृथ्वी की सतह के करीब आने पर उनकी ऊर्जा अधिक होती है, जिससे जमीन में अधिक कंपन होता है नतीजतन अधिक नुकसान होता है।
इस बीच, शनिवार को म्यांमार सरकार के औपचारिक अनुरोध के जवाब में, भारतीय सेना के इंजीनियरों की एक विशेषज्ञ टीम ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत 6 अप्रैल 2025 को देश में पहुंची, जिससे क्षेत्रीय समर्थन और मानवीय राहत के लिए भारत की चल रही प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई।
गौरतलब है कि म्यांमार में मार्च के अंतिम सप्ताह में आये 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप में कम से कम 2,700 लोगों की जान चली गई तथा 3,400 अन्य प्रभावित हुए।
इसके बाद रूसी आपातकालीन मंत्रालय ने म्यांमार की जनता को सहायता प्रदान करने के लिए बचाव दल का सबसे बड़ा समूह गठित किया है। भूकंप के बाद राहत कार्यों के लिए 264 रूसी बचावकर्मियों को तैनात किया गया," मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया।