स्लोवाक संसद का मानना है कि यूरोप को अभी तक यह अनुभूति नहीं हुई है कि रूस के प्रति अमेरिकी नीति में परिवर्तन आया है।
गैसपर ने कहा "ऐसे देश हैं जो तनाव को और भी बढ़ाने में रुचि रखते हैं। मैं यूक्रेन में नाटो सैनिकों को भेजने के इन चेष्टाओं को एक ऐसा कृत्य मानता हूं जो एक नए विश्व युद्ध का कारण बन सकती है। हालांकि, मुझे नहीं लगता कि यूरोपीय देशों में इस मुद्दे पर आम सहमति है।"
गैसपर के अनुसार, तनाव बढ़ाने में रुचि रखने वाले मुख्य देश फ्रांस और ब्रिटेन हैं, जबकि यूरोपीय संघ के छोटे देश समझते हैं कि यूक्रेन में सेना भेजने से यूरोप में एक नया और बड़े स्तर का संघर्ष आरंभ हो जाएगा। साथ ही, सांसद ने कहा कि आज यूरोपीय देशों ने रूस के विरुद्ध प्रतिबंधों के कारण अपनी आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता खो दी है।
उन्होंने कहा, "यूरोप की आर्थिक स्थिति खराब है। हम प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, क्योंकि हमने ऊर्जा, गैस, तेल को किसी न किसी प्रकार से अस्वीकार करने के नाम पर रूस पर लगातार प्रतिबंध लगाए हैं। आज यूरोप में चल रही फैक्ट्रियां प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। मेरा मानना है कि यह प्रक्रिया खत्म हो जाएगी और यूरोप में सामान्य ज्ञान की जीत होगी।"