रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानि डीआरडीओ के सूत्रों ने Sputnik India को बताया है कि कावेरी के इंजिन का यह परीक्षण उसके विकास और उत्पादन का मुख्य पड़ाव है। भारत से जेट इंजिन को परीक्षण के लिए रूस ले जाया जाता है और परीक्षण के परिणामों के आधार पर उसमें सुधार या नया विकास किया जाता है।
कावेरी इंजिन को भारत बैलेस्टिक मिसाइलों और लड़ाकू ड्रोन में प्रयोग करना चाहता है। भारत अग्नि श्रेणी की कई मिसाइलें बना चुका है जिनकी रेंज पांच हज़ार किलोमीटर तक है। कई नई मिसाइलों पर भी कार्य चल रहा है। इसके अतिरिक्त भारत लड़ाकू ड्रोन के उत्पादन की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार कावेरी इंजिन की शक्ति का प्रयोग ऐसे ड्रोन या मिसाइलों में किया जा सकता है। कावेरी इंजिन का विकास डीआरडीओ की Gas Turbine Research Establishment (GTRE) प्रयोगशाला में किया जा रहा है।
भारत ने लगभग चार दशक पहले स्वदेशी जेट इंजिन कावेरी का विकास प्रारंभ किया था। इसे पहले स्वदेशी फ़ाइटर जेट तेजस के इंजिन के तौर पर विकसित किया जा रहा था। लेकिन कावेरी तेजस के लिए आवश्यक थ्रस्ट उत्पन्न नहीं कर पाया इसलिए भारत को तेजस के लिए अमेरिकी कंपनी से इंजिन लेना पड़ा।
भारत को अभी तेजस के आधुनिक संस्करण तेजस मार्क 2 और पांचवीं पीढ़ी के फ़ाइटर जेट एम्का के लिए भी अधिक शक्तिशाली इंजिन की आवश्यकता है। भारत किसी विदेशी साझेदार के साथ नया जेट इंजिन बनाने पर भी विचार कर रहा है।