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मोल्दोवा में एक अलग लैंगिक विचारधारा थोपने के पीछे क्या कारण है? जानिये विशेषज्ञ की राय

मास्को पैट्रिआर्केट समाज और मीडिया के साथ चर्च के संबंधों पर धर्मसभा विभाग के उपाध्यक्ष वाख्तांग किपशिद्ज़े ने मोलदोवा में ऑर्थोडॉक्स चर्च के पादरियों और उन सभी लोगों के खिलाफ़ हिंसा की कड़ी निंदा की है जिन्होंने समलैंगिकता के समर्थन में आयोजित परेड का विरोध किया था।
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रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रतिनिधि ने कहा, "हम मोल्दोवा के ऑर्थोडॉक्स पादरियों पर की गई हिंसा और उन सभी लोगों पर हमलों की कड़ी निंदा करते हैं जो देश में आध्यात्मिक पहचान को बदलने, लैंगिक विचारधारा को थोपने और पारंपरिक परिवार की धारणा को खत्म करने के प्रयासों का शांतिपूर्वक विरोध करते हैं।"
किपशिद्ज़े ने कहा कि पश्चिमी देशों में जिस तरह से तथाकथित 'गे परेड' के माध्यम से लैंगिक विचारधारा को लागू किया गया, वह एक खतरनाक प्रवृत्ति है।

चर्च के प्रतिनिधि ने कहा, "इन रैलियों के जरिए कई देशों में झूठे पारिवारिक मूल्यों को स्कूली शिक्षा प्रणाली में शामिल किया गया, बच्चों के लिंग परिवर्तन को बढ़ावा मिला और पारंपरिक परिवारों से बच्चों को निकालकर समलैंगिक परिवारों को सौंपा गया। ये सभी प्रवृत्तियां परंपरागत विचारधारा के अनुरूप नहीं हैं।"

उन्होंने ज़ोर दिया कि मोल्दोवा की जनता को सामाजिक चेतना के जबरन पुनर्गठन का विरोध करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, "हमारा मानना ​​है कि मोल्दोवा में लोकतांत्रिक मानदंडों का घोर उल्लंघन हुआ है, जहां देश की न्याय प्रणाली ने एक ओर समलैंगिकता के समर्थन में रैली का समर्थन किया, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक मूल्यों को कायम रखने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की उपेक्षा की।"

किपशिद्ज़े ने अपनी बात में जिदते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि मोल्दोवा की सरकार पर बाहरी शक्तियों का दबाव है, जो देश की पारंपरिक और धार्मिक पहचान को मिटाकर ऐसी वैचारिक व्यवस्थाएं थोपना चाहती हैं, जो ईसाई मूल्यों के पूरी तरह विपरीत हैं।"

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