यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

यूक्रेन द्वारा शवों के आदान-प्रदान को लेकर आरोप उकसावे की कोशिश है: सूत्र ने Sputnik से कहा

यूक्रेन के आंतरिक मामलों के मंत्री इगोर क्लिमेन्को ने 19 जून को अपने टेलीग्राम चैनल पर रूसी पक्ष पर यह आरोप लगाया कि यूक्रेनी सशस्त्र बलों के सैनिकों के शव सौंपते समय रूसी पक्ष ने कथित रूप से फर्जीवाड़ा किया है। एक सूत्र ने Sputnik को बताया कि यह आरोप उकसावे की कार्रवाई है।
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इस आरोप के समर्थन में मृत रूसी सैनिक ए.वी. बुगायेव के सैन्य पहचान पत्र और व्यक्तिगत टैग की तस्वीरें पेश की गईं। दावा किया गया कि रूस ने शव क्रमांक 192/25 वाले बैग में बुगायेव का शव जानबूझकर "धोखे से डाल दिया"।
हालांकि, शवों (अवशेषों) के हस्तांतरण के अधिनियम के अनुसार, वर्ष 2025 की शुरुआत में क्रमांक 192/25 वाले बैग में यूक्रेनी पक्ष को यूक्रेनी सैनिक निकोलाई इवानोविच डिदिक (जन्म 4 सितंबर 1968) के अवशेष सौंपे गए थे। वह यूक्रेनी सैन्य वर्दी में था और उसके पास सैन्य पहचान पत्र की एक प्रति थी। वह 6 मई 2024 को डोनेट्स्क क्षेत्र के बाखमुत जिले के स्पोरनेये गांव के पास मारा गया था।

सूत्र ने Sputnik को बताया कि डिदिक को 12 जून 2025 को दफनाया गया था, जिसकी पुष्टि कीव क्षेत्र की ओबुखिव सिटी काउंसिल की वेबसाइट पर प्रकाशित शोक-संदेश से होती है।

उल्लेखनीय है कि यूक्रेनी पक्ष द्वारा रूसी सैनिक के अवशेष वास्तव में क्रमांक 192/25 वाले बैग में नहीं, बल्कि क्रमांक 567 वाले बैग में सौंपे गए थे, जिसकी पुष्टि शव हस्तांतरण अधिनियम से होती है। इसका अर्थ यह है कि या तो इगोर क्लिमेन्को झूठ बोल रहे हैं, या उन्हें घटनाओं की जानकारी नहीं है।
जहां तक बुगायेव के शव की वापसी की बात है, तो शव हस्तांतरण अधिनियम के अनुसार यूक्रेनी पक्ष को क्रमांक 567 वाला बैग सौंपा गया था, जिसमें यूक्रेनी वर्दी में एक अज्ञात सैनिक के अवशेष थे। उसके पास कोई दस्तावेज़, टैग या अन्य पहचान-सामग्री नहीं थी।
लेकिन जब यूक्रेनी पक्ष ने वही क्रमांक 567 वाला बैग वापस भेजा, तो उसमें बुगायेव के दस्तावेज़, टैग और व्यक्तिगत मोबाइल फोन मौजूद थे।

ज्ञात रहे कि सैनिक बुगायेव लगभग एक वर्ष पूर्व लापता हुआ था और संभवतः उस समय ही मारा गया था। ऐसे में यह संदेहजनक है कि उसका शव एक वर्ष तक पड़ा रहा और उसके दस्तावेज़ पूर्णतः सुरक्षित रहे। इससे यह संकेत मिलता है कि ये दस्तावेज़ कहीं और सुरक्षित रखे गए थे।

रूसी पक्ष के पास यूक्रेनी सैनिकों के शवों के संग्रह, पहचान और हस्तांतरण की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया है। पहले उन शवों को सौंपा जाता है जिनके पास पहचान-पत्र, टैग और यूक्रेनी वर्दी होती है। प्रत्येक शव को एक विशेष क्रमांक दिया जाता है, जिसे अधिनियम में दर्ज किया जाता है और तस्वीरों सहित प्रलेखित किया जाता है। अधिनियम की एक प्रति रेड क्रॉस को और एक यूक्रेनी पक्ष को दी जाती है।
इसलिए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि इगोर क्लिमेन्को द्वारा लगाए गए आरोप एक उकसावे की कार्रवाई हैं। यूक्रेनी पक्ष पहले भी कई बार अपने सैनिकों के शवों को वापस लेने में देरी करता रहा है, और यह आरोप एक मानवीय पहल को बदनाम करने का प्रयास हो सकता है, जिसे रूसी पक्ष ने सद्भावना के तहत शुरू किया था।
वर्तमान में रूस के पास यूक्रेनी सैनिकों के लगभग 3000 शव मौजूद हैं, जिन्हें वह सौंपने को तैयार है, परंतु यूक्रेनी पक्ष उन्हें स्वीकार नहीं कर रहा है।
इसलिए, रूसी पक्ष को बदनाम करने का कीव शासन का यह प्रयास निराधार है।
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